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आज हम आपको ले चल रहे हैं ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी रतनपुर की सैर पर। रतनपुर का अस्तित्व चार युगों में रहा है, जहां पर्यटन के लिहाज से 365 तालाब, 780 मंदिर, 21हजार कुएं, और 7 सुरंग विद्यमान हैं। इस पौराणित और ऐतिहासिक नगरी में स्थित है आदिशक्ति का दिव्य धाम, जहां लगता है मां महामाया का दरबार।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के रतनपुर में स्थित है मां महामाया का दिव्य धाम। ये अलौकिक मंदिर देवी के 51 शक्ति पीठ में से एक है। मान्यता के मुताबिक यहां देवी सती का दाहिना स्कंध यानि कंधा गिरा था। रतनपुर में स्थित ये दिव्य महामाया मंदिर करीब एक हजार साल पुराना है। इसका निर्माण कलचुरी राजा रत्नदेव प्रथम ने 11वीं शताब्दी में करवाया था। गर्भगृह में मां महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप के दर्शन होते हैं। भगवान शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर इसे कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था। ऐसा माना जाता है कि मां के दर्शन से कुंवारी कन्याओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मां के दरबार में जो भी अर्जी लेकर आता है, मां उसे पूरा जरूर सुनती हैं। मंदिर में प्रात:काल से देर रात तक भक्तों की भीड़ लगी रहती है। खासतौर पर दोनों ही नवरात्रों में यहां खास आयोजन होते हैं। माना जाता है कि नवरात्र में यहां की गई पूजा निष्फल नहीं जाती है। 

मां महामाया
मां महामाया

राजा रत्नदेव ने बनवाया मंदिर 

मंदिर
मंदिर

पवित्र और पौराणिक नगरी रतनपुर को पहले मणिपुर के नाम से जाता था। मान्यता है कि 11वीं सदी में कलचुरी राजा रत्नदेव प्रथम शिकार के वक्त मणिपुर गांव में रात्रि विश्राम के लिए रुके थे। अर्धरात्रि में जब राजा की आंख खुली तब उन्होंने वट वृक्ष के नीचे आलौकिक प्रकाश देखा और ये देखकर चमत्कृत हो गए कि वहां आदिशक्ति मां महामाया देवी की सभा लगी हुई है। सुबह होने पर वे अपनी राजधानी तुम्मान खोल लौट गए और मणिपुर का नाम रतनपुर कर इसे अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया और महामाया देवी का भव्य मंदिर बनवाया।

सबसे ज्यादा ज्योतिकलश

नवरात्र में माता महामाई के दर्शन करने के साथ ही ज्योतिकलश के भी अद्भुत नजारे देखने को मिलते हैं। दावा है कि दोनों ही नवरात्र के दौरान महामाया मंदिर में सबसे ज्यादा ज्योतिकलश प्रज्ज्वलित किए जाते हैं। यहां देश और विदेश से भक्त विशेष तौर पर ज्योतिकलश स्थापित करवाते हैं। साथ ही मंदिर में साल 1986 से एक अखंड ज्योत भी जल रही है।

स्त्री रूप में विराजमान हनुमानजी 

हनुमानजी 
हनुमानजी 

रतनपुर स्थित गिरिजाबंध का हनुमान मंदिर बेहद खास है। यहां हनुमान जी की स्त्री रूप में पूजा होती है। और हनुमानजी की ये अनोखी प्रतिमा महामाया मंदिर से सटे महामाया कुंड से मिली थी। गिरिजाबंध मंदिर महामाया मंदिर से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित है।  इस मंदिर का निर्माण रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजू ने करवाया था। 

जलमग्न है जलेश्वर महादेव 

मंदिर प्रांगण में ही महामाया कुंड के एक छोर पर जलेश्वर महादेव के दर्शन भी होते हैं। जो सदैव कुंड के जल में डूबे रहते हैं इसलिए इनका नाम जलेश्वर महादेव पड़ा। वहीं कुंड के दूसरी ओर विराजे हैं नीलकंठ महादेव। स्थानीय बोलचाल में इसे कंठीदेवल महादेव कहा जाता है। अष्टकोणीय आकार का ये मंदिर हिंदू और मुस्लिम शैली की वास्तुकला का मिश्रण है। 

पहले करें काल भैरव के दर्शन 

काल भैरव
काल भैरव

रतनपुर- बिलासपुर राजमार्ग में रतनपुर के प्रवेश द्वार पर सिद्ध तंत्र पीठ भगवान काल भैरव नाथ का विशाल और ऐतिहासिक मंदिर है। मां महामाया के दरबार में हाजिरी लगाने से पहले काल भैरव के दर्शन करने होते हैं। यहां गर्भगृह में काल भैरव की 12 फीट की विशाल प्रतिमा स्थापित है। नगर कोतवाल काल भैरव को भगवान शिव का रुद्र अवतार माना गया है। यही वजह है कि यहां भैरवनाथ की प्रतिमा का श्रृंगार भगवान शिव के रूप में किया जाता है। मां महामाया के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु भैरवनाथ के दर्शन करने के बाद ही आगे बढ़ते हैं।

ठहरने के अच्छे इंतजाम

रतनपुर के पास स्थित खूंटाघाट में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा संचालित विश्राम गृह है, रतनपुर में शासकीय विश्राम गृह और महामाया मंदिर ट्रस्ट की ओर से एक सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला भी उपलब्ध है। वहीं बिलासपुर शहर में भी विश्राम गृह के साथ ही कई होटल उपलब्ध हैं।

कैसे पहुंचे 

रतनपुर से रायपुर की दूरी करीब 141 किलोमीटर है जहां हवाई और सड़क मार्ग के जरिए पहुंचा जा सकता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन बिलासपुर जंक्शन है जो मुंबई-हावड़ा मुख्य मार्ग पर स्थित है। पर्यटन स्थल के बारे में अधिक जानकारी, पैकेज टूर और रिसॉर्ट बुकिंग के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल की वेबसाइट देखें या कॉल सेंटर पर संपर्क कर सकते हैं।
 

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