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आंबेडकर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. आशीष सिन्हा पर एक करोड़ 62 लाख रुपए का हिसाब नहीं दिए जाने के कारण जांच कमेटी बैठा दी गई है।

रायपुर। प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल में बड़ी वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। यहां के चिकित्सक डॉ. आशीष सिन्हा पर एक करोड़ 62 लाख रुपए का हिसाब नहीं दिए जाने के कारण जांच कमेटी बैठा दी गई है। मामला सामुदायिक चिकित्सा विभाग से जुड़ा हुआ है। डॉ. आशीष सिन्हा इस विभाग के प्रमुख के तौर पर जुलाई 2014 से मई 2018 तक चार वर्ष कार्यरत रहे। उनका स्थानांतरण दूसरे विभाग में किए जाने के बाद कई बार उनके कार्यकाल में हुए खर्च का हिसाब मांगा जाता रहा, लेकिन उनके द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई। 

6 सालों तक संबंधित कागजात उपलब्ध नहीं कराए जाने तथा कोई जानकारी नहीं देने के कारण अंततः अस्पताल प्रबंधन ने पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी बैठा दी है। तीन सदस्य कमेटी इस वित्तीय अनियमितता की जांच करेगी तथा यह पता लगाएगी की 2014 से 2018 तक खाते से निकाली गई एक करोड़ 62 लाख 28 हजार की राशि का इस्तेमाल कहां किया गया है। इस कमेटी में अस्पताल के ही डॉ. विनीत जैन, डॉ. मनोज साहू तथा वित्त विभाग की उप संचालक ऋतु कौशिक शामिल हैं।

5 दिन में पेश करनी होगी रिपोर्ट

अस्पताल प्रबंधन ने अपने आदेश में में अधिकतम 5 दिनों के अंतराल में जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा है। जारी आदेश में कहा गया है कि सामुदायिक चिकित्सा विभाग के जिस खाता क्रमांक से राशि निकाली गई है, उससे संबंधित कैशबुक, लेजर खाता, वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट, चेक बुक रजिस्टर, आय-व्यय का ब्योरा, संबंधित बिल वाउचर इत्यादि आवश्यक कार्यालयीन दस्तावेज विभाग को उपलब्ध कराने निर्देशित किया गया, किन्तु डॉ. आशीष कुमार सिन्हा द्वारा
आज विभाग को विभागीय दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया है। जबकि इस दौरान एक बार डॉ० आशीष कुमार सिन्हा का स्थानांतरण होकर कार्यमुक्त हो चुके है और उनके द्वारा अधिष्ठाता कार्यालय को भी गुमराह कर अंतिम वेतन प्रमाण पत्र जारी कराया गया था।

पदोन्नति संबंधित खत के बाद खुला मामला

डॉ. आशीष सिन्हा को सह प्राध्यापक पद पर पदोन्नति के लिाए सनिष्ठा प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के लिए सामुदायिक चिकित्सा विभाग अर्थात कम्यूनिटी मेडिसीन विभाग को खत लिखा गया। इसके बाद विभाग द्वारा इस बात की जानकारी दी गई कि डॉ सिन्हा द्वारा अब तक उनके कार्यकाल की वित्तीय जानकारी नहीं दी गई है। इसके बाद जांच बैठाई गई है। प्रथम दृष्टिया खाते के परीक्षण में पता चला कि इतनी बड़ी राशि में से 18 लाख 67 हजार 590 रुपए कैश, 27 लाख 89 हजार 901 सेल्फ तथा 38 लाख 91 हजार 522 हजार रूपए पर्सनल अकाउंट में ट्रांसफर किए गए हैं। सामुदायिक चिकित्सा विभाग में यूनिसेफ, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों तथा अन्य योजनाओं की राशि आती है।

 

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