भिलाई। निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार के अंतर्गत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर प्रवेश देने की प्रक्रिया एक मार्च से शुरू कर दी गई। राज्य से आरटीई पोर्टल खोला गया लेकिन उसमें तकनीकी सुधार नहीं किया गया। जैसे ही पोर्टल खुला प्रदेशभर से 7 हजार 444 आवेदन तीन दिन में ही ऑनलाइन जमा भी हो गए। राज्यभर के 6 हजार 746 निजी स्कूलों में 44 हजार 173 सीटों में इस साल वर्ष 2025-26 शैक्षणिक सत्र के लिए दाखिला होना है। अब राज्य ने इस पोर्टल को आनन-फानन में सोमवार को बंद कर दिया।
पांच साल में 38 हजार 883 सीटें घटी
राज्य में आरटीई की सीटें बड़ी तेजी से घटाई जा रही है। पिछले पांच सालों में प्रदेशभर के निजी स्कूलों की 45 प्रतिशत सीटें घट गई है। पिछले साल वर्ष 2024-25 में 54 हजार 668 सीटें थी। वर्ष 2025.26 शैक्षणिक सत्र यानी इस साल 44 हजार 173 हो गई है। इस तरह 10 हजार 495 सीटें घट गई है। वहीं पांच सालों में वर्ष 2022-23 में 2 हजार 157 सीटें कम की गई। वर्ष 2023-24 में सबसे ज्यादा 25 हजार 583 और वर्ष 2024-25 में 598 और वर्ष 2025-26 में 10 हजार 495 सीटें घटी है। इस तरह पांच सालों में 38 हजार 883 सीटें घट गई है।
पोर्टल पर यह पालकों को यह जानकारी
आरटीई पोर्टल पर पालकों को यह जानकारी दी जा रही है कि तकनीकी सुधार का ट्रायल चल रहा है। यह ट्रायल पूरा होते ही पोर्टल फिर से पालकों के लिए खोला जाएगा। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक पिछले साल प्रवेश में जो गड़बड़ी हुई है उन्हे ट्रेस करने के लिए पोर्टल में तकनीकी सुधार किया गया है। उसका ट्रायल पूरा होने के बाद फिर से खोल देंगे।
इन गड़बड़ियों को रोकने आरटीई पोर्टल में सुधार की जरूरत
पहलाः आरटीई पोर्टल हैक कर दाखिला लेने वाले 24 बच्चों के पालकों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इन बच्चों का दाखिला निरस्त करने का आदेश हुआ। किसी सरकारी पोर्टल को हैक करना ही क्राइम है लेकिन उनके पालकों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है। इस मामले में दुर्ग जिले के दो नोडल प्राचार्यों को जांच में दोषी भी मिले लेकिन उन पर भी कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की गई।
दूसराः आरटीई में फर्जी अंत्योदय राशनकार्ड से दाखिले हुए हैं। शुरूआती जांच में 10 पालकों ने फर्जी अंत्योदय राशनकार्ड लगाकर गरीब बच्चों की सीटें हथियाई इसकी पुष्टि भी हुई। शिक्षा सत्र 2024-25 में अंत्योदय राशनकार्ड के आधार पर 850 बच्चों का दाखिला दिया गया है। जिसकी जांच और कार्रवाई नहीं हो पाई। नियम के तहत ऐसे बच्चों के पालकों के पास दुर्बल वर्ग का सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है।
तीसरा: आरटीई में दाखिले के लिए रसूखदार पालकों ने साजिश की। एक मुखिया का दो.दो राशनकार्ड आवेदन के साथ जमा हुए। जिसमें राशनकार्ड का नंबर तो एक था लेकिन पता अलग.अलग रखा गया था। राशनकार्डों में मुखिया के फोटो भी दोनों कार्ड में अलग अलग लगवाए जिससे कि पकड़ में नहीं आए कि राशनकार्ड एक ही व्यक्ति का है। कई राशनकार्ड खाद्य विभाग के पोर्टल में भी दर्ज नहीं थे।
चौथा: आरटीई में 140 बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने किरायानामा देकर दाखिला लिया। सर्वे सूची 2011 को मान्य कर प्रवेश दिया गया है, शासन द्वारा यह सर्वे सूची ही अनुमोदित ही नहीं है। आरटीई में गड़बड़ी पहले चरण की लाटरी से ही शुरू हो गई। इस चरण में एक तो एक बच्चे को तीन-तीन स्कूल आबंटित कर दिए गाए। दूसरे चरण की लाटरी में भी यह गड़बड़ी नहीं थमी। दूसरे चरण की लाटरी में उन्ही बच्चों को फिर से प्रवेश दे दिया गया जो पहले चरण की लाटरी में तीन तीन स्कूल आबंटन में थे।