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छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों, पंचायती राज संस्थाओं और अनुदान प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों के ऑडिट के आंकड़े चौंकाने वाले हैं।

जिया कुरैशी - रायपुर। छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों, पंचायती राज संस्थाओं और अनुदान प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों के ऑडिट के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। ऑडिट आपत्तियां और वसूली की रकम हैरान भी करती है। बीते वित्तीय वर्ष में 338153790996 रुपए यानी 3 खरब, 38 अरब, 338 करोड़ से अधिक राशि की ऑडिट आपत्तियां सामने आई है। इन आपत्तियों में निराकरण केवल 35 फीसदी का हुआ। मतलब एक फीसदी से भी कम। संख्या के लिहाज से देखें तो कुल आपत्तियां 7 लाख 72 हजार 209 आपत्तियां थी। इनमें से केवल 2712 का ही निराकरण हो पाया था। 

उल्लेखनीय है कि, आपत्तियों का निराकरण नहीं होने पर यह माना जाता है कि इन मामलों में वित्तीय अनियमितता, गबन, शासकीय राशि का दुरुपयोग, फिजूलखर्ची, अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा कर्तव्यों की अवहेलना आदि कारणों से शासन के खजाने का नुकसान हुआ है। यह ऑडिट सरकार के वित्त विभाग से संबंधित छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा विभाग ने किया है। इसके आंकड़े हरिभूमि के पास हैं।

राज्य संपरीक्षा करता है ये काम 

छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा अधिनियम 1973 की धारा 4(1) एवं 21 (3) के अन्तर्गत छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा अधिनियम के अधीन स्थानीय निकायों का अंकेक्षण (ऑडिट) करता है। छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा द्वारा किये जाने वाले अंकेक्षण कार्य के आधार पर स्थानीय निकायों पर अंकेक्षण शुल्क आरोपित कर शासकीय कोष में जमा करता है। इसके साथ ही गबन (प्रभक्षण) वित्तीय कदाचार आदि के प्रकरणों पर त्वरित कार्यवाही हेतु विशेष प्रतिवेदन निकाय एवं उनके प्रशासकीय विभाग की और प्रेषित करते हुए महालेखाकार को भी सूचित करता है।

चौंकाने वाले आंकड़े 

राज्य संपरीक्षा की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष वित्तीय वर्ष 2024-25 की स्थिति में प्रारंभिक लंबित ऑडिट आपत्तियों की संख्या 6 लाख 86 हजार 143 थीं। वर्ष के दौरान लिए गए ऑडिट आपत्तियों की संख्या 86 हजार 36 हजार 066 थी। कुल अवशेष ऑडिट आपत्तियों की संख्या 7 लाख 72 हजार 209, वर्ष के दौरान निराकृत ऑडिट आपत्तियों की संख्या 2712 है। अवशेष ऑडिट आपत्तियां 7 लाख 69 हजार 497 रही। इन आपत्तियों में सन्निहित राशि 338 अरब रुपए होती है।

गबन के मामले 1780 

इसी रिपोर्ट के मुताबिक, लेखा नियमों की अवहेलना, स्थानीय निकायों द्वारा प्रशासनिक शिथिलता के कारण गबन के मामले सामने आए। दिसंबर 2024 की स्थिति में ऐसे मामलों की संख्या 1 हजार 780 रही। इन मामलों में 8 करोड़ 72 लाख 28 हजार, 644 रुपए शामिल हैं। इन मामलों का हिसाब देखें तो अधिभार के आरोप पत्र 18 जारी हुए। अधिभार सूचना 9, अधिभार आदेश 30, मांग हेतु प्रमाण पत्र 25 जारी किए गए।

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