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छत्तीसगढ़ में सरकारी भवनों की रंगाई-पुताई और मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये हर साल खर्च दिए जाते हैं। यह भी नहीं देखा जा रहा कि, उस भवन को मरम्मत की जरूरत है भी या नहीं। 

पंकज भदौरिया-दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान आत्मानंद स्कूलों को अपग्रेडेशन के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किये गए। खर्च का आलम यह रहा कि, जो भवन 5 लाख का था उसकी भी मरम्मत 50 लाख में कर दी गई। लेकिन सरकार बदलने के बाद भी काम करने का सिस्टम नहीं बदल रहा है। 

दंतेवाड़ा जिले में हाल ही में लोक निर्माण विभाग को एजेंसी बनाकर 7 करोड़ 82 लाख रुपये निविदा एजुकेशन सीटी जावंगा में 24 मरम्मत कार्यो के नाम से लगाया गया है। यह पहली बार नहीं है, जब एजुकेशन सीटी में भवन मरम्मत का काम हो रहा है। बीते वर्ष भी एजुकेशन सीटी जावंगा में रंगाई- पोताई और जीर्णोद्धार से ठेकेदारों ने अपना जमकर उद्धार किया है। 

नहीं अपनाई गई ऑनलाइन निविदा प्रक्रिया 

निर्माण कार्यो की निविदा प्रक्रिया मैन्युल पद्धति से लगाई जा रही है। जबकि, इसी नेचर के कामों का पीडब्ल्यूडी ऑनलाइन टेंडर लगाता है। इसी प्रकार इस निविदा प्रक्रिया का भी ऑन लाइन टेंडर लगाया जाना था। जिससे बहुत से ठेकेदार निविदा प्रक्रिया में भाग ले सकते। इतना ही नही निविदा जारी करने और निविदा फार्म खरीदने के बीच महज 13 दिनों का समय है जो कि निर्माण कार्यो के जानकारों की अगर माने तो नियमतः इसे भी 1 महीने कि अवधि में होना चाहिए। 

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कई संस्थाओं में मरम्म्त की अवश्यकता नहीं

पीडब्ल्यूडी ने जिन संस्थाओं का टेंडर लगाया है, उनमें ज्यादातर संस्थाओं में मरम्मत की अवश्यकता नहीं है। एजुकेशन सिटी में मौजूद कई संस्थाओं की हाल में मरम्मत की गई थी। बीते वर्ष करीब एक करोड़ की लागत से इस परिसर के कई भवनों की रंगाई पुताई करायी गई थी। इसके बावजूद कुछ ही महीनों में उन्हीं संस्थाओं की मरम्मत एक बड़े खेल की ओर इशारा कर रहा है। सूत्रों की माने तो संस्थाओं का निरीक्षण किए बिना ही घर बैठे एस्टीमेट तैयार किया गया और आनन फानन में मैनुअल टेंडर निकाला गया। 

नहीं दिया जा रहा है टेंडर फार्म

इस मामले में जब ठेकेदारों से बात की गई तो कुछ ठेकेदारों ने बताया कि, पीडब्ल्यूडी सीधे फॉर्म इश्यू नहीं कर रहा। ठेकेदारों को बताया गया कि, जिला निर्माण के उच्च अधिकारियों से अनुमोदन लेने के बाद ही फॉर्म इश्यू किया जायेगा। ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा कि निर्माण एजेंसी टेंडर फॉर्म तक जारी नहीं कर पा रही। इसका सीधा मतलब है कि कुछ चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए ही ये कार्य स्वीकृत किए गए और मरम्मत के नाम डीएमएम से एक बार फिर करोड़ों के बंदरबांट की तैयारी कर ली गई है।

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