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डायल 112 की टीम ने 3 किमी नाला-पहाड़ वाले रास्ते को पार कर गर्भवती महिला को कांवड़ से वाहन तक लेकर आए। इसके बाद महिला ने वाहन में ही बच्चे को जन्म दिया। 

अमित गुप्ता-रायगढ़। आजादी के 75 सालों बाद भी गांवों की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। बरसात के दिनों में गांवों को शहर से जोड़ने वाले रास्ते कीचड़ में बदल जाते हैं। इसके अलावा रास्तों पर पानी भी भर जाता है। ऐसी स्थिति में आवागमन के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 

पहाड़ और जंगल के बीच ग्राम पोरेमर घुटरूपारा बसा है। रास्तों पर जलभराव के कारण बरसात के दिनों में इस गांव में चार पहिया तो क्या दो पहिया वाहन भी नहीं जा पाता है। ऐसे में गांव की ही एक गर्भवती महिला को दर्द उठना परिवार के लिए मुसीबत का सबब बन गया। परिवार ने बिना देर लगाए गर्भवती सुष्मिता (28) को अस्पताल पहुंचाने के लिए डायल 112 को कॉल किया। 

आरक्षक और साथी गर्भवती महिला को कांवड़ से वाहन तक ले गए 

जानकारी मिलते ही डायल 112 में तैनात आरक्षक विपिन किशोर खलखो और ईआरवी वाहन चालक छोटू दास तुरंत रवाना हुए। गर्भवती महिला का घर नाला और पहाड़ी के उसपार होने के कारण वाहन के लिए रास्ता नहीं मिल सका। इसलिए आरक्षक प्रबल किशोर और वाहन चालक छोटू पैदल ही महिला के घर पहुंचे। गर्भवती महिला की स्थिति देखकर आरक्षक प्रबल किशोर ने महिला को कांवड़ से ही वाहन तक ले जाने के लिए परिवार को मनाया। इसके बाद अपने एक साथी के साथ खुद महिला को कांवड़ से उठाकर चल पड़ा। वे नाले और पहाड़ी वाले 3 किमी के रास्ते को पार कर डायल 112 वाहन के पास पहुंचे। इसके बाद वे महिला को लेकर अस्पताल जाने के लिए रवाना हुए। 

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महिला ने बच्चे को दिया जन्म 

महिला ने डायल 112 के वाहन में बच्चे को दिया जन्म 

रास्ते में ही महिला को अत्यधिक प्रसव पीड़ा होने लगी। जवान अपनी सूझबूझ से पेड की आड़ खड़ा कराया। फिर मितानिन और महिला के परिजनों ने महिला का सुरक्षित प्रसव कराया। इसके बाद जच्चा-बच्चा दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। दोनों ही स्वस्थ हैं। स्थानीय लोगों ने ऐसी स्थिति में डायल 112 की त्वरित प्रतिक्रिया और सहायता के लिए पुलिस की सराहना की है। 

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