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हरिभूमि समाचार पत्र में प्रकाशित खबर पर हाईकोर्ट के संज्ञान लेने के बाद अंबेडकर अस्पताल में अब संडे को भी मरीजों को दवाई मिलेगी। इसके लिए तीन फार्मासिस्ट की ड्यूटी लगाई गई है।

रायपुर। हरिभूमि समाचार पत्र में प्रकाशित खबर पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तत्काल संज्ञान लिया है। जिसके बाद डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मृति अस्पताल में अब संडे को भी मरीजों को दवाई मिलेगी। अस्पताल में 24 घंटे दवाई वितरण के लिए मिनी स्टोर को तीन पालियों में संचालित होगा। साथ ही मिनी स्टोर में तीन फार्मासिस्ट की ड्यूटी लगाई गई है। अस्पताल के संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक ने आदेश जारी किया है।

दरअसल अस्पताल में रविवार को ओपीडी सेवाएं बंद रहती थी। जिसके कारण मरीजों को इलाज के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता था। वहीं अब सन्डे को भी अस्पताल में मरीजों को दवाई मिलेगी। इसके लिए  फार्मासिस्ट टिपेंद्र राम भगत, अश्विनी राठौर, विजय कुमार भारद्वाज, की ड्यूटी मिनी स्टोर में लगाई गई है। 23 सितम्बर को 2024 को हरिभूमि ने खबर रविवार की छु‌ट्टी यानि नियमित इलाज बंद, जांच तो दूर, मरीजों को जरूरी दवा मिलनी भी मुश्किल प्रकाशित की थी। 

Order Issued
संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक ने आदेश जारी किया

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यह है पूरा मामला 

रविवार को ओपीडी बंद, यानी स्वास्थ्य केंद्रों में आने वाले मरीजों की जांच तो दूर, उन्हें सर्दी-बुखार की दवा मिलनी भी मुश्किल है। इमरजेंसी सेवाओं के नाम पर यहां के डॉक्टर ऑन कॉल ड्यूटी करते हैं और अस्पताल चिकित्सकीय स्टाफ के भरोसे संचालित होता है। सरकारी अस्पतालों में अवकाश को छोड़कर सामान्य दिनों में ओपीडी की व्यवस्था होती है, जिसमें आने वाले मरीजों की समस्या के अनुसार उनकी जांच और आवश्यक दवा तथा इलाज उपलब्ध कराया जाता है।

छुट्टी के दिन सारे शासकीय हेल्थ सेंटर इमरजेंसी मोड पर रहते हैं और आने वाले सामान्य मरीजों को किसी तरह की जांच तो दूर, सर्दी- खांसी, बुखार जैसी सामान्य बीमारियों की दवा मिलनी भी मुश्किल होती है। किसी तरह के हादसे के शिकार होकर अथवा प्रसव जैसी आपात स्थिति में आने पर उन्हें उपचार की सुविधा मिल सकती है, मगर बुखार जैसी सामान्य समस्या होने पर उन्हें निजी डॉक्टरों के पास जाकर इलाज कराने अथवा ओपीडी में आने की सलाह इन स्वास्थ्य केंद्रों से मिलती है।

आंबेडकर और जिला अस्पताल को छोड़कर हमर अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात चिकित्सक ऑन काल ड्यूटी पर रहते हैं। किसी तरह की बड़ी घटना होने पर उनके अस्पताल पहुंचने का दावा होता है, नहीं तो वहां मौजूद नर्सिंग सहित अन्य चिकित्सकीय स्टाफ स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती और इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के देखभाल तथा इलाज की जिम्मेदारी उठाते हैं। हरिभूमि टीम रविवार को राजधानी के हेल्थ सेंटरों की व्यवस्था का हाल जानने निकली।

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गुढ़ियारी का हमर अस्पताल

दोपहर करीब डेढ़ बजे गुढ़ियारी के हमर अस्पताल परिसर में भर्ती मरीजों के बच्चे खेलते मिले। अस्पताल में कुछ नर्सिंग स्टाफ सक्रिय दिखे, मगर दवा काउंटर बंद था। हमर अस्पताल में मौजूद मरीजों के अंटेंडरों ने बताया कि सुबह आने वाले डॉक्टर जानकारी लेने के बाद चिकित्सकीय स्टाफ को कुछ बताकर गए हैं। दोपहर तक यहां इमरजेंसी जैसी स्थिति में कोई केस नहीं आया था, कुछ लोग दवा की पर्ची लेकर अस्पताल पहुंचे थे, जिन्हें सोमवार को आने की सलाह दी गई थी।

राजातालाब हमर अस्पताल

दोपहर करीब 1 बजे हमर अस्पताल में कुछ नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्ट मौजूद थे। उन्होंने बताया कि डॉक्टर सुबह राउंड पर आए थे और प्रसव के लिए भर्ती मरीजों की स्थिति के अनुसार सलाह देकर गए हैं, वे ऑन कॉल ड्यूटी पर हैं। यहां इमरजेंसी की स्थिति में डॉग बाइट, प्रसव अथवा किसी हादसे में चोटिल होने वाले लोग आते हैं, जिन्हें उपचार दिया जाता है। अतिगंभीर स्थिति वालों को जिला अथवा आंबेडकर अस्पताल जाने की सलाह दी जाती है।

आंबेडकर अस्पताल में दोपहर बाद भीड़

सुबह के वक्त आंबेडकर अस्पताल में मरीजों की संख्या कम थी, मगर दिन चढ़ने के साथ इमरजेंसी विभाग में मरीजों का आना शुरू हो गया। इनमें कई दूसरे अस्पतालों से रेफर थे तो कुछ एमएलसी केस थे। इमरजेंसी विभाग में दोपहर बाद गहमागहमी जैसी स्थिति थी। वहां तैनात आपात चिकित्सा अधिकारी के साथ यूनिट के पीजी डॉक्टर मरीजों के इलाज में जुटे थे, मगर सामान्य मरीजों के लिए यहां भी जांच और दवा की सुविधा नहीं थी।

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दो डॉक्टरों के जिम्मे जिला अस्पताल

रविवार को दोपहर ढाई बजे जिला अस्पताल सुनसान था। वहां वार्डों के हिसाब से चिकित्सकीय स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई थी और इमरजेंसी में एक महिला तथा दूसरे पुरुष चिकित्सक की ड्यूटी लगाई गई थी। अस्पताल सूत्रों ने बताया कि रोस्टर के आधार पर दो-दो चिकित्सक इमरजेंसी यूनिट में ड्यूटी पर हैं। जिला अस्पताल में आपात स्थिति वाले मरीज तो नहीं पहुंचे, मगर मुलाहिजा संबंधी मामले लेकर कुछ थाने के जवान जरूर पहुंचे। सामान्य तरीके का इलाज और दवा काउंटर यहां भी बंद थे, जिसकी वजह से ओपीडी कक्ष की तरफ का ताला बंद था।


 

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