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छत्तीसगढ़ के मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. पालेश्वर प्रसाद शर्मा की नवमीं पुण्यतिथि पर बनमाली सृजन केन्द्र बिलासपुर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस गरिमापूर्ण आयोजन में साहित्य जगत की अनेक बड़ी हसतियां मौजूद रहीं।  

बसंत राघव- बिलासपुर। अच्छी सोच के लिए अच्छा साहित्य पढ़ना आवश्यक है। मनुष्य को मनुष्य बनाने वाली विधा साहित्य है। ऐसे ही साहित्य के रचनाकार डॉ. पालेश्वर प्रसाद शर्मा की रचनाएं अत्यंत प्रासंगिक हैं। उनकी रचनाओं को पढ़कर आप अपने आप को जान सकते हैं, छत्तीसगढ़ को जान सकते हैं, भारत को जान सकते हैं। ये उद्गार अंतरराष्ट्रीय संस्कृत विदुषी आचार्या डॉ. पुष्पा दीक्षित के हैं, जब वे बनमाली सृजन केन्द्र बिलासपुर में डॉ. पालेश्वर प्रसाद शर्मा की नवम पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में अति विशिष्ट अतिथि के रूप में बोल रही थीं।

डॉ. शर्मा छत्तीसगढी के आचार्य रामचंद्र शुक्ल थे : डॉ. पाठक

मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ. अजय पाठक ने कहा कि, डॉ. शर्मा छत्तीसगढी के आचार्य रामचंद्र शुक्ल थे। उन्होंने एक ओर अपने लेखन से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य में विपुल लेखन किया। इस दृष्टि वे छत्तीसगढ़ के सव्यसाची लेखक थे। वे चाहते तो आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी या प्रसाद, निराला आदि पर शोध कर सकते थे, लेकिन उन्होंने छत्तीसगढ़ के कृषक, छत्तीसगढ़ की संस्कृति और खेत खलिहान को अपने शोध के लिए चुना। यह उनके छत्तीसगढ़ की माटी के प्रति प्रेम और लगाव को दर्शाता है। 

Dr. Pushpa Dixit and guests addressing the program
डॉ. पुष्पा दीक्षित और अतिथिगण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए

कबड्डी और तैराकी में भी सिद्धहस्त थे डॉ. शर्मा : बाजपेयी 

विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक चंद्रप्रकाश बाजपेयी ने डॉ. पालेश्वर प्रसाद शर्मा के व्यक्तित्व और कृतित्व तथा उनके साथ बिताए क्षणों को याद करते हुए बताया कि, वे बड़े साहित्यकार तो थे ही, कबड्डी के सिद्धहस्त खिलाड़ी और जबर्दस्त तैराक भी थे। इस अवसर पर वंदे मातरम् संस्था के सूत्रधार महेंद्र जैन एवं डॉ. शर्मा के शिष्य रहे सिद्धेश्वर पाटनवार तथा मेघा तम्हाने ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

साहित्य, कला, संस्कृति आनंदपूर्वक जीवन के लिए अपरिहार्य : डॉ. दुबे 

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. सी वी रमन विश्वविद्यालय करगीरोड कोटा के कुलपति डॉ. रविप्रकाश दुबे ने कहा कि, जिस देश में साहित्य, कला, संस्कृति नहीं है, वहां उथल-पुथल है, तनाव है। साहित्य, कला, संस्कृति आनंदपूर्वक जीवन जीने के लिए अपरिहार्य हैं। छत्तीसगढ़ की भूमि, बिलासपुर की भूमि प्रणम्य है, जहां डाडॉ. पालेश्वर प्रसाद शर्मा जैसी प्रतिभाओ ने कालजयी साहित्य रचा। कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. सी वी रमन विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अरविंद तिवारी ने स्वागत भाषण दिया। अतिथियों का शाल, श्रीफल, पुष्प माल्य एवं गुलदस्ते से स्वागत समन्वय साहित्य परिवार छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष डॉ. देवधर महंत तथा राजीव नयन शर्मा, अनन्य शर्मा, अनुभव शर्मा, वासंती शर्मा, डॉ. नीराजना तिवारी, डॉ. अनुभूति तिवारी एवं साधना शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संचालन महेश श्रीवास तथा आभार प्रदर्शन समन्वय बिलासपुर केन्द्र के अध्यक्ष डॉ. गंगाधर पटेल 'पुष्कर' ने किया।

इन महानुभावों की रही मौजूदगी

कार्यक्रम में ज्येष्ठ नागरिक संघ के अध्यक्ष अरविंद दीक्षित, राघवेन्द्र धर दीवान, प्राध्यापक गण डॉ. शिवप्रसाद दीक्षित, डॉ. राजेश शुक्ल, डॉ. संतोष कुमार बघेल, डॉ. अमिता, डॉ. आंचल श्रीवास्तव, डॉ. अंकुर शुक्ला, कवयित्री डॉ. धनेश्वरी सोनी, पूर्णिमा तिवारी, कवि द्वारिका वैष्णव, वेदप्रकाश अग्रवाल, रमन किरण प्रभृति की आत्मीय उपस्थिति रही।

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