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बस्तर के पर्यटन को बैंबू राफ्टिंग से इको-पर्यटन को नया आयाम मिल रहा है। जिसके कारण यहां के पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।

महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। छत्तीसगढ़ का बस्तर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्वप्रसिद्ध है। यहां के तीरथगढ़ और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान से लगे मांझीपाल में बैंबू राफ्टिंग शुरू की गई है। इसके साथ ही इको-पर्यटन विकास की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। यह पहल इको-डेवलपमेंट समिति के नेतृत्व में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक के सहयोग से शुरू की गई है। इसका उद्देश्य पर्यटकों को रोमांचक अनुभव प्रदान करना और सतत पर्यटन को बढ़ावा देना है।

Bamboo Rafting
बैंम्बू राफ्टिंग का लुत्फ़ उठाते हुए पर्यटक

यह परियोजना क्षेत्र की अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता को उजागर करने के साथ-साथ स्थानीय समुदाय के लिए आजीविका के अवसर उत्पन्न करने के लिए डिजाइन की गई है। बांस राफ्टिंग जो सांस्कृतिक रूप से जड़ित और पर्यावरण, अनुकूल गतिविधि है, पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों का ध्यान आकर्षित कर रही है। इको-डेवलपमेंट समिति ने सुरक्षा प्रोटोकॉल, उपकरणों के उचित रखरखाव और पारदर्शी वित्तीय प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया है। संरचित योजना और उत्साह के साथ यह परियोजना क्षेत्र में एक प्रमुख इको-पर्यटन आकर्षण बनने की संभावना रखती है।

रोमांच और स्थिरता का संगम

बताया जा रहा है कि मांझीपाल, तीरथगढ़ की शांत जलधारा पर बांस राफ्टिंग एक अद्भुत और रोमांचक अनुभव प्रदान करती है, जो पर्यटकों को प्रकृति से जोड़ती है। स्थानीय समुदाय के सहयोग से इको-डेवलपमेंट समिति ने संचालन का जिम्मा संभाला है, जिसमें पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित किया गया है। इस पहल ने क्षेत्र में रोजगार और कौशल विकास के नए अवसर उत्पन्न किए हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।

local youths
स्थानीय युवाओं को मिल रहा रोजगार

राफ्टिंग का अनुभव लें

राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक चूड़ामणी सिंह ने पर्यटकों को कहा कि वे मांझीपाल में बांस राफ्टिंग का अनुभव लें और इस सतत पर्यटन पहल का समर्थन करें, जो रोमांच और प्रकृति संरक्षण के बीच एक पुल का काम करती है।

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