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शासकीय डेंटल कॉलेज  में दांतों की बीमारियों का इलाज कराने नए और पुराने मिलाकर रोजाना पांच सौ के करीब मरीज पहुंचते हैं। 

विकास शर्मा - रायपुर। जंक फूड यानी कम चबाने वाले खाद्य पदार्थों का चलन बढ़ने से दांतों की एक्सरसाइज कम होने लगी है। इसके प्रभाव से दांतों की समस्या बढ़ने लगी है और रोजाना सैकड़ों पीड़ित अस्पतालों में जाकर अपना दांत तुड़वा रहे हैं। शासकीय के साथ निजी डेंटिस्ट के पास भी मरीजों की लग रही भीड़ इसकी संख्या को दो से तीन गुना कर रही है। बदलते खान-पान के साथ दांतों की शुरुआती समस्या पर गंभीरता नहीं दिखाने की वजह से यह परेशानी बढ़ने लगी है।

राज्य के एकमात्र शासकीय डेंटल कॉलेज  में दांतों की बीमारियों का इलाज कराने नए और पुराने मिलाकर रोजाना पांच सौ के करीब मरीज पहुंचते हैं। विभिन्न तरह की र उपचार प्रक्रिया के साथ यहां अंतिम विकल्प के रूप में यहां दांत भी तोड़े जाते हैं। आंकड़े चौंकाने वाले हो सकते हैं कि केवल डेंटल कॉलेज  में रोजाना औसतन डेढ़ से दो सौ मरीजों के दांत निकाले जाते हैं। कुछ ऐसा ही हाल निजी डेंटिस्टों के पास भी है, जहां इलाज से बीमारी ठीक नहीं होने पर दांत निकाले जाते हैं। चिकित्सकों के अनुसार बदलती जीवनशैली में अब अधिक चबाने वाले खाद्य पदार्थों का उपयोग कम हुआ है। इसकी वजह से दांत कमजोर होने लगे और उनमें विभिन्न तरह की बीमारियां बढ़ने लगी हैं।

योजना से दूर निजी में खर्च ज्यादा

दांतों की बीमारी के उपचार की सुविधा को कुछ साल पहले स्वास्थ्य सहायता योजना से हटा दिया गया था। शासकीय स्तर पर उपचार को आधुनिक सुविधाओं से लैस किए जाने का इंतजार हैं। महंगा इलाज और दांतों की बढ़ती समस्या की वजह से निजी डेंटिस्ट और क्लीनिक राजधानी समेत - प्रदेशभर में बढ़ी संख्या में खुल चुके हैं।

इस तरह आ रही समस्या

1. दांत का दर्द
2. मुंह से बदबू
3. दुखते दांत के पास मसूड़ों में सूजन
4. दांतों पर सफेद, काले, भूरे या भूरे रंग के धब्बे

ऐसे रखें ध्यान

1. दिन में दो बार सुबह-शाम ब्रश करने की आदत
2. फ्लोराइड और प्लॉस युक्त टूथपेस्ट का प्रयोग
3. शुगर और चिपचिपे खाद्य पदार्थ का कम उपयोग
4. समस्या होने पर दवा लेने से पहले चिकित्सक की सलाह लें

स्वास्थ्य केंद्रों में सीमित जांच

दांतों की बढ़ती बीमारी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर उपचार सुविधा मुहैया कराई जा रही है। राजधानी के तीन और धरसींवा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डेंटल से संबंधित बीमारियों की जांच की जा रही है। दो स्थानों में उपचार संबंधित प्रारंभिक सुविधाएं मौजूद है, जिसे डेंटल कालेज में अनावश्यक दबाव कम करने के लिए बढ़ाने की आवश्यकता है।

कहते हैं विशेषज्ञ

शासकीय डेंटल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विरेन्द वाढेर ने बताया कि, शहरी की तुलना में ग्रामीण इलाको में दांतो को लेकर लोग जागरूक नहीं है। खान-पान में हो रहे बदलाव की वजह से समस्याएं बढ़ रही है। शासकीय डेटल कालेज के माध्यम से मरीजों को आवश्यक उपचार की सुविधा दी जा रही है।

शा. दंत महाविद्यालय के विशेषज्ञ डॉ. दीपेश गुप्ता ने बताया कि, दांतो से संबंधित समस्याएं बढ़ रही है। प्रारंभिक दौर में होने वाली परेशानियों को नजर अंदाज कर दिया जाता है। लोग चिकित्सकों के पास अंतिम दौर में पहुंचते हैं, तब दांत निकालने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता।

दंत चिकित्सक यूसीएचसी गुढ़ियारी एवं आयुर्वेद अस्पताल परिसर डॉ. मोहित मानिक ने बताया कि, दांतों की सुरक्षा पर गंभीरता नहीं बरती जाती। खान-पान के वैौरान भी इस पर ध्यान नहीं दिया जाता। लोग ब्राशिंग करने के दौरान भी नियम का पालन नहीं करते जिसकी वजह से दांत और मसूड़े कमजोर हो जाते हैं।

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