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दो साल पहले सीजीएमएससी द्वारा यहां ग्लूकोज की बोतलें सप्लाई की थीं। अस्पताल में जरूरत के हिसाब से इनका उपयोग हुआ करीब 32 लाख की आईवी फ्लूड बिना उपयोग के खराब हो गई थीं। 

रायपुर। बिना उपयोग के दो माह पहले एक्सपायरी हुई 32 लाख की ग्लूकोज की बोतलों के मामले में जिम्मेदारी तय नहीं हो सकी  नष्ट करने के लिए एजेंसी तय करने निविदा जारी करने की तैयारी की जा रही है। जरूरत से ज्यादा आईवी फ्लूड की डिमांड अस्पताल द्वारा की गई थी अथवा सीजीएमएससी ने पुश मैकेनिज्म के तहत इसे जबरिया भेजा था, इस बात से पर्दा नहीं उठ पाया है। डीके अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर और आईसीयू में भर्ती रहने वाले मरीजों को इस तरह का विशेष ग्लूकोज चढ़ाया जाता है। दो साल पहले सीजीएमएससी द्वारा यहां ग्लूकोज की बोतलें सप्लाई की थीं। अस्पताल में जरूरत के हिसाब से इनका उपयोग हुआ और करीब 32 लाख की आईवी फ्लूड बिना उपयोग के खराब हो गई थीं। 

मामले का खुलासा होने के बाद इसकी सप्लाई को लेकर अस्पताल प्रबंधन पर आवश्यकता से ज्यादा की डिमांड करने का आरोप लगा तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा सीजीएमएससी को पुश मैकेनिज्म के तहत जबरिया जरूरत से ज्यादा सप्लाई करने के लिए जिम्मेदार बताया गया था। इस मामले की जानकारी उच्च स्तर पर होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने आला अधिकारियों को जिम्मेदारी तय करने के लिए जांच के निर्देश दिए थे। सूत्रों का कहना है कि मामले में अब तक लाखों रुपए की दवा के बिना उपयोग खराब होने के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। ग्लूकोज की बोतलें अभी भी अस्पताल में डंप पड़ी हैं, जिन्हें नष्ट करने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन की ओर से एजेंसी तय करने निविदा जारी करने की तैयारी की जा रही है।

25 लाख का उपयोग

वर्ष 2022 में सीजीएमएससी द्वारा डीके अस्पताल को कुल 57 लाख की कैल्शियम वाली आईवी फ्लूड की सप्लाई की गई थी। अस्पताल प्रबंधन द्वारा दो साल में करीब 25 लाख की ग्लूकोज की बोतलें मरीजों को लगाई गई थीं, मगर 32 लाख की आईवी फ्लूड का उपयोग नहीं हो पाया था।

अस्पताल स्तर पर कमेटी

इस मामले में फैसला लेने के लिए अस्पताल स्तर पर कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने विभिन्न पहुलओं पर जांच करने के बाद इसे नष्ट करने की प्रक्रिया पूरी करने का हवाला दिया था। आधार पर अस्पताल प्रबंधन ने एजेंसी तय करने का फैसला लिया है।

जारी करेंगे टेंडर

डीके अस्पताल के उप अधीक्षक  ने बताया कि, दवा के नष्टीकरण के लिए एजेंसी तय करने के लिए निविदा जारी की जाएगी। इसकी प्रक्रिया विभागीय अफसरों की सहमति से पूरी की जाएगी। 

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