दामिनी बंजारे-रायपुर। आज पूरा विश्व फादर्स डे मना रहा है... लेकिन आज हम आपको एक ऐसे पिता के संघर्ष की कहानी बताने जा रहे हैं। जिनकी न केवल 90 प्रतिशत किडनी फेल बल्कि किडनी ट्रांसप्लांट होने के बाद भी वे स्वस्थ्य नहीं हो सके। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आज फादर्स डे पर उन्होंने संघर्ष का संदेश दिया है। 

जी हां... हम बात कर रहे हैं महासमुंद के काटे परिवार की। देवेंद्र काटे की शादी वर्ष 2016 में हुई थी। शादी के 1 साल बाद उन्हें पता चला कि, देवेंद्र काटे की दोनों किडनी लगभग 10 से 20 प्रतिशत ही काम कर रहीं हैं। डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के अलावा उनका कोई इलाज नहीं है। उन्होंने किसी तरह किडनी ट्रांस्प्लांट भी कराई लेकिन वह सफल नहीं हो सका और आज वे जिंदगी और मौत से लड़ते हुए भी अपनी बेटी की परवरिश कर रहे है। 

हप्ते में 3 दिन कराते हैं डायलिसिस

इस घटनाक्रम जा जिक्र करते हुए देवेंद्र काटे बताते हैं कि, डायलिसिस के जरिए वह अब अपनी ज़िंदगी जी रहें हैं। वह हफ्ते में 3 दिन डायलिसिस कराने जाते हैं। वह अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाने के साथ ही अपनी दूसरी जिम्मेदारी शिक्षक होने के नाते बच्चों को शिक्षित करने का वह भी बखूबी निभा रहे हैं। उनकी बच्ची आज 9 साल की हैं जिन्हें भी अच्छी शिक्षा प्राप्त करवा रहें हैं।