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शासकीय कोष से कोई भी राशि तब तक आहरित (निकाली) नहीं की जाए जब तक कि इससे तत्काल संवितरण (बांटने) की आवश्यकता न हो। 

रायपुर। राज्य सरकार के वित्त विभाग ने सभी विभागों को आदेश दिया है कि शासकीय कोष से कोई भी राशि तब तक आहरित (निकाली) नहीं की जाए जब तक कि इससे तत्काल संवितरण (बांटने) की आवश्यकता न हो। ये भी कहा गया है कि मांग की प्रत्याशा में या बजट प्रावधान व्यपगत (लैप्स) होने से बचाने के लिए शासकीय लेखों से धन का आहरण वर्जित है। अगर ऐसा मामला सामने आया, तो जिसमें राशि आनाधिकृत रूप से आहरित कर बैंक खाते में रखी गई तो संबंधित डीडीओ (आहरण एवं संवितरण अधिकारी) के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। 

वित्त विभाग ने यह आदेश सरकारी विभागों के बैंक खातों का प्रबंधन एवं हस्तांतरित राशि के लेखांकन के संबंध में दिए हैं। वित्त विभाग ने कहा है कि पूर्व में जारी निर्देशों जिसमें ई पेमेंट, नए बैंक खाते खोलना तथा बैंक खातों के प्रबंधन के संबंध में निर्देश दिए गए हैं। संचालनालय संस्थागत वित्त के हवाले से कहा गया है कि शासकीय योजनाओं की जमा राशि संबंधी मासिक जानकारी के अवलोकन से ये बाद सामने आई है कि शासकीय योजनाओं के बैंक खातों की संख्या एवं उनमें जमा राशि में निरंतर वृद्धि हो रही है इसे देखते हुए दो साल पहले जारी निर्देश को बदल कर नए निर्देश जारी किए जा रहे हैं।

अब नए बैंक खातों के लिए अनुमति जरूरी

गैरजरूरी बैंक खाते खोलने की प्रवृत्त के मद्देनजर अब वित्त विभाग ने तय किया है Mकि नवीन शासकीय योजनाओं के लिए राज्य स्तर पर बैंख खाता खोलने के लिए वित्त विभाग की स्वीकृति अनिवार्य होगी। राज्य स्तरीय बैंक खाता खोलने के लिए वित्त विभाग की स्वीकृति के आधार पर मैदानी कार्यालयों, जिला, ब्लाक या अन्य के लिए संबंधित प्रशासकीय विभाग, वित्त विभाग एवं महालेखाकार को सूचित करते हुए आदेश जारी

नए बैंक खाते खोलने का औचित्य हो 

वित्त विभाग ने कहा है कि,  प्रत्येक योजना के लिए बैंक खाते खोलने का उद्देश्य परिभाषित एवं प्रस्ताव औचित्यपूर्ण होना चाहिए।

देनी होगी बैंक खातों की जानकारी

इसी निर्देश में ये भी कहा गया है कि, डीडीओ, स्वायत्त या वैधानिक संस्थाओं (स्थानीय निकाय, प्राधिकरण, निगम, मंडल, समितियों, विश्वविद्यालयों एवं अन्य को अपने सभी बैंक खातों की जानकारी तैयार कर अपने नियंत्रण अधिकारी के माध्यम से विभागाध्यक्ष को भेजें। इसकी एक प्रति संबंधित कोषालयों को दी जाए। विभागाध्यक्ष द्वारा संकलित खातों की समीक्षा कर प्रशासकीय विभाग के माध्यम से 31 जुलाई तक वित्त विभाग को भेजें साथ ही एक प्रति महालेखाकार को भी भेजी जानी चाहिए।

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