रविकांत सिंह राजपूत- मनेंद्रगढ़। मनेंद्रगढ़ में फूलों की खेती ने एक नई क्रांति की शुरुआत की है। जिले के एक किसान ने पारंपरिक खेती छोड़कर गुलाब की खेती में हाथ आजमाया और अब वह इस क्षेत्र में न सिर्फ अपनी पहचान बना रहे हैं, बल्कि ग्रामीणों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन गए हैं। गुलाब की खेती से जहां उनकी आर्थिक स्थिति सुधर रही है वहीं स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी खुल रहे हैं।
किसान एबी अब्राहम पहले गेहूं, धान और मक्के जैसी पारंपरिक फसलों की खेती करते थे अब उन्होंने उद्यानिकी फसलों की खेती शुरू कर दी है। एबी अब्राहम ने एक एकड़ की जमीन पर डचरोज गुलाब की खेती शुरू की। फूलों की खेती से उन्हें काफी मुनाफा हुआ। इन फूलों की मांग सरगुजा संभाग में तो है ही मध्यप्रदेश के सीमावर्ती शहरों में भी इनकी मांग बढ़ने लगी है।
खुलने लगे रोजगार के नए अवसर
फूलों की खेती से उन्हें मिलने वाला मुनाफा पारंपरिक फसलों की तुलना में कई गुना ज्यादा है। खास बात यह है कि, फूलों की खेती की लागत कम होती है इस वजह से किसान अधिक मुनाफा कमा पाते हैं। गुलाब की खेती से एबी अब्राहम को तो लाभ हुआ ही साथ ही ग्रामीणों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुले हैं। फूलों की देखभाल, तुड़ाई, पैकिंग और परिवहन से जुड़े कार्यों में कई स्थानीय लोगों को काम मिला है।
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फूलों की खेती के लिए स्थानीय प्रशासन भी सक्रिय
फूलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए स्थानीय प्रशासन भी पूरी तरह से सक्रिय है। उद्यानिकी विभाग समय-समय पर किसानों को तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण भी दे रही है। जिससे वे फूलों की खेती में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर ज्यादा लाभ कमा सकें। एबी अब्राहम ने आत्मनिर्भरता की ओर भी कदम बढ़ाया है। अब स्थानीय प्रशासन की मदद से इस पहल का विस्तार हो सकेगा।