सूरज सिन्हा-बेमेतरा। शासकीय प्राथमिक शाला सैगोना में छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार हरेली उल्लासपूर्वक मनाया गया। बच्चे पारंपरिक छत्तीसगढ़ी वेशभूषा में स्कूल पहुंचे। स्कूल में नृत्य और खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। बच्चों ने पारंपरिक हरेली गीत में नृत्य प्रस्तुत किया। बच्चों ने गेड़ी, रस्सी कूद, फुगड़ी, बाटी, भौरा और गोटा आदि प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। 

नवाचारी शिक्षिका हिमकल्याणी सिन्हा ने बच्चों को त्योहार के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, यह त्यौहार कृषि के विकास, उन्नति और हरियाली का प्रतीक है। यह छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार है। इसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व खेती-किसानी से जुड़ा हुआ है। इस दिन कृषि औजार जैसे नागर, गैति, कुदारी, रपली, हसिया, टंगिया आदि की पूजा की जाती है। 

खेलते हुए छात्राएं

घर की चौखट पर लगाते हैं नीम की टहनियां 

इस दिन गृहिणियां चीला बनाती हैं। गाय-बैलों को लोदी खिलाकर पूजा करते हैं। घर-घर में नीम की टहनियां लगाते हैं। मान्यता है कि, बरसात के समय छोटे-छोटे कीटाणु और जीवाणु घर के भीतर आते हैं उन्हें रोकने के लिए ही घर की चौखट पर नीम के पत्ते लगाए जाते हैं।

धूम-धाम से मनाया गया त्योहार

इस दौरान शाला के प्रधान पाठक लेखराम वर्मा ने सभी बच्चों का उत्साह वर्धन किया। शिक्षकों और बच्चों की मौजूदगी में हरेली त्योहार धूम-धाम से मनाया गया।