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डॉक्टर पाणिग्रही ने जिला अस्पताल में ऑपरेशन की सुविधा नहीं होने की बात कहते हुए बालकोनगर के निजी आयुष्मान नर्सिंग होम भेज दिया था। 

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने डॉक्टरों के खिलाफ चिकित्सा में लापरवाही के आरोप में धारा 304ए/34 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रजनी दुबे की पीठ ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। दरअसल कोरबा जिले में हार्निया के आपरेशन के दौरान पांच साल के बच्चे की मौत हो गई थी। पुलिस ने डॉक्टर प्रभात पाणिग्रही, डॉक्टर ज्योति श्रीवास्तव और डॉक्टर प्रतीक धर शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था।

पुलिस के मुताबिक, डॉक्टर पाणिग्रही ने जिला अस्पताल में ऑपरेशन की सुविधा नहीं होने की बात कहते हुए बालकोनगर के निजी आयुष्मान नर्सिंग होम भेज दिया था। निजी नर्सिंग होम में बच्चे के इलाज के दौरान ऑपरेशन थिएटर में डॉ. पाणिग्रही के साथ आयुष्मान नर्सिंग होम के डॉक्टर श्रीवास्तव और डॉ. शर्मा मौजूद थे। पुलिस के अनुसार बच्चे दिव्यांश को ऑपरेशन के लिए ले जाने के करीब आधे घंटे बाद डॉ. पाणिग्राही ने उन्हें बच्चे की तबीयत बिगड़ने की जानकारी दी।

लापरवाही का कोई प्राथमिक मामला नहीं बनता

दर्ज एफआईआर के खिलाफ तीनों डाक्टरो वे हाईकोर्ट में अपील की। याचिका में कहा गया कि अंतिम रिपोर्ट को बस एक साधारण समीक्षा से पता चलता है इसलिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ चिकित्सा लापरवाही का कोई प्राथमिक मामला नहीं बनता है। 

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