बिलासपुर। प्रदेश की खराब सड़कों के मामले में विभागीय सचिव की ओर से हाईकोर्ट में शपथ पत्र पेश नहीं किया जा सका। हाईकोर्ट ने 2 अप्रैल तक का समय इसके लिए दिया है। ध्यान रहे कि  हाईकोर्ट ने प्रदेश की सड़कों पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि ये दुख की बात है कि खराब सड़कों से होने वाली दुर्घटनाओं को हम रोक नहीं पा रहे हैं। राज्य शासन को तुरंत सभी गड्ढे भरने चाहिए ताकि भविष्य में दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

हाईकोर्ट ने शासन और एजेंसी को यह भी आदेश दिया है कि जिस सड़क में कार्य चल रहा हो, उस सड़क में कार्य प्रारंभ होने की तारीख व कार्य पूर्ण होने की तारीख और जिस सड़क का टेंडर ही जारी न हुआ हो, उसकी स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करें। हाईकोर्ट ने जनहित याचिकाओं पर यह संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट में खराब सड़कों को लेकर चल रही जनहित याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान शासन की तरफ से बताया गया कि सड़क का निर्माण और मरम्मत की कार्रवाई शुरू हो गई है।

ठेका कंपनियों की रहती है जिम्मेदारी

आमतौर पर नगर निगम द्वारा कराए जा रहे कार्यों के दौरान पीडल्ब्यूडी की सड़कों को खोदने के लिए प्रावधान के अनुसार निगम के साथ ही पीडब्ल्यूडी से अनुमति लेनी होती है। इसके साथ ही जिस कार्य के लिए सड़कों की खोदाई की जाती है उसकी ठेका कंपनी को सड़क को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी दी जाती है। नगर निगम में लेकिन वर्तमान में जल अमृत मिशन के तहत सड़कों की बेतरतीब खोदाई की जा रही है। इसके चलते लोक निर्माण विभाग की नई सड़कों की हालत बदहाल हो गई है।

पीडब्ल्यूडी व निगम में समन्वय का अभाव

दरअसल नगर निगम में बिना किसी प्लान के कई मार्गों का डामरीकरण प्रारंभ कर दिया जाता है। नई बनी सड़क को कभी सीवरेज पाइप लाइन तो कभी जल अमृत मिशन के नाम से खोद दिया जाता है। इसी तरह टेलीफोन केबल, नाला निर्माण के लिए फिर सड़कों को खोद दिया जाता है। इस तरह से अव्यवस्थित कार्य को लेकर रुपयों की बर्बादी होती है और सड़कों की दुर्दशा होती है।