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धमतरी में जल जगार महोत्सव के शुभारंभ में सीएम विष्णुदेव साय शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि,जल-जगार से सकारात्मक और क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। 

धमतरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के रविशंकर जलाशय गंगरेल बांध में आयोजित जल जगार महोत्सव के शुभारंभ समारोह में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शामिल हुए। इस अवसर पर सीएम साय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, जल और पर्यावरण संरक्षण के लिए जिला प्रशासन जल जगार महोत्सव मना रहा है, जो अनुकरणीय पहल है। पीएम मोदी के संकल्प को जलजीवन मिशन के तहत गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरा करने का काम हमारा है। 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम साय ने कहा कि,धमतरी जिले में भी जल स्तर काफी नीचे जा रहा था, किन्तु जल जगार से सकारात्मक और क्रांतिकारी परिवर्तन आया है,जिसके लिए जिला प्रशासन बधाई का पात्र है।  उन्होंने कहा कि, पानी का अधिक दोहन हो रहा है, लेकिन जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया जाता। कोई भी व्यक्ति अगर बड़ा करने की ठान ले तो यह कोई बड़ी बात नहीं है। 

नक्सलवाद का खात्मा करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है 

माओवाद प्रभावित क्षेत्र के आदिवासियों के लिए नियद नेल्ला नार योजना चलाई जा रही है। जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे है। नक्सलवाद का खात्मा करने सरकार प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री के 2047 के विकसित भारत के संकल्प को साकार करना है। इस दौरान सीएम साय ने लोगों को मां के नाम पेड़ लगाने का आह्वान भी किया। 

jal jagar mahotsav
जल जगार महोत्सव

जल बचाने में इनिशिएटिव काम कर रहा है 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वन एवं जलवायु परिवर्तन, जल संसाधन, कौशल विकास एवं सहकारिता विभाग मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि, जल बचाने की दिशा में जिला प्रशासन बेहतर और इनिशिएटिव काम कर रहा है, जिसे धमतरी ही नहीं, पूरे प्रदेश और देश के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि, जल जगार के माध्यम से आने वाली पीढ़ी को एक बड़ी सौगात दे सकते हैं।

जल संरक्षण बेहद जरुरी 

प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री तथा जिले के प्रभारी मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि, आज के परिवेश में जल संरक्षण बेहद जरूरी है। प्रधानमंत्री ने जलजीवन मिशन के तहत घर घर पानी देकर संदेश दिया है। पानी का मूल्य और महत्व को सभी को समझना होगा। कुरूद विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि, यह अपने आप मे एक नवाचारी कार्यक्रम है। जिले में बड़े जलाशय होने के बाद भी यहां का भूजल स्तर गिरना चिंता का विषय है। सामुदायिक भागीदारी से जल संरक्षण किया जाना प्रशंसनीय है और इसे जन-जन का आंदोलन बनाना होगा। 

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