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हर घर नल से जल... सुनने में कितना अच्छा लगता है, मगर कई गांवों के लिए यह केवल सुंदर लगने वाला नारा ही बनकर रह गया है। ऐसा नहीं है कि सरकार ने पैसे नहीं दिए, दिए लेकिन अफसरों में शायद इच्छाशक्ति का अभाव है।

प्रवीन्द्र सिंह- बैकुण्ठपुर। हर घर नल से जल उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार ने जल जीवन मिशन की शुरूआत की है। इस योजना के तहत कोरिया जिले में करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए, बावजूद अब तक इसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। घरों के सामने नल के स्टैंड तो लगा दिए गए हैं, लेकिन उसमें पेयजल की सप्लाई कई पंचायत क्षेत्रों में अब तक शुरू नहीं हो पाई है।

योजना का लाभ नहीं मिल पाने के चलते अभी भी कई ग्रामीण क्षेत्रों के लोग ढोंढ़ी व तुर्रे ( नालों के पास जमीन के नीचे से रिसने वाला पानी ) से पेयजल प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन मशक्कत कर रहे हैं। इस तरह का हाल है कोरिया जिले के सोनहत जनपद क्षेत्र में स्थित गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के भीतर बसे वन्य ग्राम तुर्रीपानी का। यहां के ग्रामीणों की प्यास गहरी खाई में चट्टानों के बीच निकल रहे तुर्रे से बुझ रही है। गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के अंतिम छोर पर उद्यान सीमा के भीतर चारों ओर से घने जंगलों से घिरे ग्राम तुर्रीपानी स्थित है। यहां की आबादी भी ज्यादा नहीं है, इसके बावजूद यहां पेयजल सुविधा के लिए माकूल व्यवस्था अब तक नहीं बनाई जा सकी है। इसके कारण यहां के ग्रामीणों को घने जंगलों के बीच स्थित पहाड़ के नीचे से निकलने वाले तुर्रे से ग्रामीण पेयजल प्राप्त करते है।

तुर्रे से पीते हैं पानी, इसलिए गांव का नाम ही पड़ गया तुर्रीपानी

पानी के लिए हर परिवार की महिलाएं सुबह होने के साथ ही पेयजल के लिए पहाड़ के नीचे स्थित तुर्रे पर पहुंच कर अपने घर तक मुश्किल से पेयजल लाने को मजबूर हैं। जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय उद्यान सीमा के भीतर स्थित तुर्रीपानी की विरल बसाहट है और आबादी भी कम है। ग्राम तुर्रीपानी के लोग वर्षो से जंगलों के बीच पहाड़ के नीचे चट्टान के बीच से निकलने वाले तुर्रे से ही अपनी प्यास बुझाते आ रहे हैं इस कारण इस गांव का नाम तुर्रीपानी पड़ा।   

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पानी लेकर पहाड़ चढ़ती महिला

खतरों के बीच लाते हैं पेयजल-

गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान सीमा क्षेत्र में स्थित वन ग्राम तुर्रीपानी के ग्रामीणों को प्रतिदिन खतरों के बीच पहाड़ी के तुर्रे से पेयजल प्राप्त करने की मजबूरी है। जानकारी के अनुसार गांव के घने जंगल के बीच स्थित एक पहाड़ी की तलहटी में खाइयों के बीच से होकर नीचे उतरना पड़ता है, तब तुर्रा तक पहुंचते हैं और पेयजल प्राप्त करते हैं। पेयजल के लिए ज्यादातर परिवार की महिलाएं ही जुटती हैं। हालांकि कई परिवारों के पुरुष भी सहयोग करते हैं। जंगलों के बीच जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है। इस क्षेत्र में भालू के साथ हाथी का खतरा बना रहता है। इसके अलावा गहरी खाई में स्थित तुर्रे के पास विषैले सर्प का भी खतरा बना रहता है, इसके बीच प्रतिदिन लोगों को पेयजल प्राप्त करने की मजबूरी है।   
 
पाइप लाइन बिछाई लेकिन वह भी क्षतिग्रस्त-

जानकारी के अनुसार ग्राम तुर्रीपानी के ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पूर्व में सोलर पंप लगाकर गांव में पेयजल सप्लाई के लिए पाइप लाइन का विस्तार किया गया था। वर्तमान में बिछाई गई पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो गई है, जिसके कारण सोलर पंप की सहायता से पेयजल सप्लाई करने की योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि सोलर पंप से पानी देने के लिए पाइप लाइन बिछी है, लेकिन वह क्षतिग्रस्त हो गई है और कुछ जगह तक पानी मिलता है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि पाइप लाइन से जहां पानी आ रहा है वह गर्म हो जाता है। जिसके कारण लोग तुर्रे से ही पेयजल प्राप्त करते हैं, जिसका जल शीतल रहता है।

बरसात में पीते हैं दूषित पानी-

ग्राम तुर्रीपानी में पेयजल के लिए उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को वर्ष भर पेयजल के लिए मशक्कत कर तुर्रे से पानी लाना पड़ता है, लेकिन बरसात के दौरान ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पाता है। बरसात के दौरान तुर्रे से भी दूषित जल मिलता है, इसके कारण ग्रामीणों को बरसात तक शुरू पेयजल नहीं मिल पाता है। दूषित जल के उपयोग के कारण जलजनित रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।  

पाइप बिछ नल लगे पर टंकी ही नहीं बनी 

वन ग्राम तुर्रीपानी में भी जल जीवन मिशन के तहत हर घर पानी पहुंचाने के लिए कार्य किया गया है, जो कि आधा-अधूरा ही है। जबकि यहां कुछ ही घर स्थित है जिन घरों तक पानी पहुंचाने की योजना भी फेल साबित हुई है। जानकारी के अनुसार ग्राम तुर्रीपानी में जल जीवन मिशन के तहत पाइप लाइन बिछाकर लोगों के घर के सामने नल के स्टैंड भी लगा दिए गए हैं, लेकिन पानी टंकी का निर्माण कार्य ही अब तक नहीं कराया गया है। जल जीवन मिशन का कार्य मार्च 2024 तक पूरा करना था। इस तरह जल जीवन मिशन की सिर्फ नल के पोस्ट लोगों के घर के सामने की शोभा बढ़ा रही है। पानी नहीं मिलने के कारण नल के पोस्ट पर जानवरों के बांधने का उपयोग किया जा रहा है 

भू-जल की समस्या है 

यहां भू-जल की समस्या है, इसके कारण ट्यूबवेल फेल हो जाता है। पेयजल के लिए सोलर पंप लगाकर पाइप लाइन से पेयजल सप्लाई दिया गया है, जिसे कुछ स्थानों पर हाथियों ने पाइप लाइन को क्षतिग्रस्त कर दिया है, जिसके कारण अभी एक ही जगह से पानी गिर रहा है। 

सीबी सिंह, ईई पीएचई (कोरिया)

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