जितेंद्र सोनी- जशपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के बगीचा थाना क्षेत्र में एक कोरवा समाज की 28 वर्षीय युवती के साथ नशीली दवा पिलाकर सामूहिक दुष्कर्म करने का मामला सामने आया है। पीड़िता ने इस घटना के बाद बच्चे को भी जन्म दिया और अब पुलिस से न्याय की गुहार लगाई है। फिलहाल पुलिस ने इस मामले में तत्काल कार्यवाही करते हुए दुष्कर्म में शामिल एक तांत्रिक समेत 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार, यह मामला जशपुर जिले के बगीचा थाना क्षेत्र का है। जहां कोरवा समाज की एक 28 वर्षीय युवती के साथ क्रूरता की सारी हदें पार की गईं। पीड़िता ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में बताया कि, करीब 9-10 महीने पहले उसे पेट दर्द की शिकायत थी। दवा लेने के बावजूद राहत न मिलने पर उसने गांव के ही दिलेश्वर यादव से इस बारे में बात की। दिलेश्वर ने उसे झाड़-फूंक कराकर बीमारी ठीक करने की बात कहते हुए अपने साथ चलने को कहा। 25 जुलाई 2024 की शाम करीब 7 बजे दिलेश्वर यादव के द्वारा पीड़िता को अपनी स्कूटी पर बैठाकर एक तथाकथित तांत्रिक किशोर पंडा के पास ले जाया गया, जहां उसे इलाज के नाम पर नशीली दवा पिलाई गई, जिसके बाद पीड़िता बेहोश हो गई।
तांत्रिक और उसके मित्र ने किया दुष्कर्म
बेहोशी के बाद दिलेश्वर यादव और तांत्रिक किशोर पण्डा दोनों ने मिलकर बारी- बारी से उसके साथ दुष्कर्म किया। घटना के बाद आरोपियों ने पीड़िता को धमकी दी कि, अगर उसने इसके बारे में किसी को कुछ बताया तो उसे और उसके पूरे परिवार को जान से मार देंगे। जान के डर से पीड़िता चुप रही। लेकिन अगस्त 2024 में उसे अपनी गर्भावस्था का पता चला और 28 फरवरी 2025 को उसने एक लड़के को जन्म दिया। इसके बाद उसने हिम्मत जुटाकर बगीचा थाने जाकर मामले में शिकायत दर्ज कराई।
एसपी के निर्देश के बाद हुई FIR
इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए जशपुर एसपी शशिमोहन सिंह ने तत्काल एफआईआर के निर्देश दिए। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमाण्ड पर जेल भेज दिया है। आपको बता दें कि थाने में शिकायत करने से पहले पीड़िता को गांव में बैठक कर समझाने और मामले को सुलझाने की भी कोशिश की गई थी कि वह एफआईआर न कराए।
यह घटना मानवता के लिए शर्मशार- एसडीओपी
इस पूरे मामले को लेकर बगीचा एसडीओपी दिलीप कुमार कोशले ने कहा कि, यह घटना न सिर्फ मानवता को शर्मसार करने वाली है। बल्कि, समाज में महिलाओं की सुरक्षा और आदिवासी समुदाय के शोषण पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।