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छत्तीसगढ़ में अब तक सरकारी नौकरी पाने के लिए फर्जीवाड़ा करने वाले एससी, एसटी वगैरह के फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पा लिया करते थे।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों के लिए आरक्षित पदों पर फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए नौकरी करने वालों पर तो सरकार की गाज गिरना तय है, लेकिन इससे पहले एक ऐसे अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का शिकंजा कसा गया है, जिसने फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र पर नौकरी करने वालों की ही जांच नहीं करवाई। इस मामले में संचालक उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी ने उप एवं सहायक संचालक उद्यान को नोटिस जारी किया है। फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्रों पर नौकरी के मामले की सबसे पहली खबर हरिभूमि ने पिछले साल 30 मई को प्रकाशित की थी।

संचालक उद्यानिकी ने उप- सहायक संचालक उद्यान को एक नोटिस भेजकर कहा है कि विभाग में ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी के रूप में अलग-अलग जिलों में काम कर रहे नौ अधिकारियों के दिव्यांगता प्रमाणपत्र की जांच राज्य मेडिकल बोर्ड से करवाकर उनका प्रमाण पत्र भेजे। लेकिन संबंधित अधिकारी ने इस निर्देश का पालन नहीं किया है। इस मामले में संबंधित अधिकारी को 2 अप्रैल 2024 को पत्र भेजा गया था, लेकिन अब तक प्रमाण पत्र न मिलने पर नाराजगी जताते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

हरिभूमि ने किया था खुलासा 

हरिभूमि ने पिछले साल 30 मई को प्रकाशित खबर में बताया था कि छत्तीसगढ़ में अब तक सरकारी नौकरी पाने के लिए फर्जीवाड़ा करने वाले एससी, एसटी वगैरह के फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पा लिया करते थे। ऐसे सैकड़ों मामले सरकार के मंत्रालय महानदी भवन की फाइलों में चल रहे हैं, लेकिन शायद ये पहली बार होगा, जब सरकारी नौकरी के लिए 18 लोग दिव्यांग बन बैठे हैं। इन लोगों के खिलाफ छत्तीसगढ़ दिव्यांगजन सेवा संघ तथा 14 अन्य ने बिलासपुर हाईकोर्ट में पिटीशन दायर किया है। अब सरकार इन सभी लोगों की मेडिकल बोर्ड से जांच करवाएगी।

2019 के बाद नियुक्त दिव्यांगों की जांच

खास बात ये है कि,  इस फर्जी दिव्यांग नौकरी घोटाले में ऐसे कर्मचारी संदेह के दायरे में आ रहे हैं, सामान्य प्रशासन विभाग ने कहा है कि 1 जनवरी 2019 के बाद नियुक्त हुए सभी शासकीय सेवक जो दिव्यांग प्रमाणपत्र के आधार पर शासकीय सेवा में कार्यरत हैं, के शारीरिक परीक्षण के बाद दिव्यांग प्रमाणपत्रों की नियमानुसार मेडिकल बोडों से पुनः जांच कराई जाए। सभी विभाग, कार्यालयों में काम कर रहे शासकीय सेवक जिनके विरुद्ध गलत, फर्जी दिव्यांगता प्रमाणपत्र के आधार पर शासकीय सेवा प्राप्त किए जाने की शिकायत हुई है, के संबंध में नियमानुसार उनके दिव्यांगता प्रमाणपत्र की जांच व सत्यापन कराया जाए।

ये है मामला

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर में एक रिट पिटीशन छत्तीसगढ़ दिव्यांगजन सेवा संघ एवं 14 अन्य लोगों ने दायर की है। इस पिटीशन में कहा गया है कि 18 शासकीय सेवक ऐसे हैं. जिनके विरुद्ध आरोप है कि वे गलत, फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के आधार पर शासकीय सेवा में कार्यरत हैं। संबंधितों के विभाग द्वारा दिव्यांगता की पुष्टि के लिए पुनः मेडिकल बोर्ड से जांच कराई जाए। इस संबंध में राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रदेश के  सभी विभागों, अध्यक्ष राजस्व मंडल बिलासपुर, सभी संभागीय आयुक्त, सभी विभागाध्यक्ष, सभी जिलाध्यक्ष (कलेक्टर) सभी मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को आदेश जारी किया है। सरकार ने ये भी कहा है कि इस संबंध में छत्तीसगढ़ शासन समाज कल्याण विभाग द्वारा 18 शासकीय सेवकों के मूल विभाग तथा आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं को पत्र भेजा जाए।

जांच मेडिकल बोर्ड से कराने का था निर्देश

जिन ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारियों की राज्य मेडिकल बोर्ड से जांच कराने का निर्देश दिया गया था, उनमें ये लोग शामिल हैं। राहुल पाटले गरियाबंद, श्रवण कुमार बिलासपुर, दिनेश कुमार चंद्रा सक्ती, चंद्रशेखर साहू सक्ती, अमन राठौर, बलौदाबाजार, जितेंद्र कुमार कोशल जगदलपुर, गौतम कुमार कश्यप गरियाबंद, पूजा पहारे मुंगेली, सतीश कुमार नवरंग मुंगेली।

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