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फोर्स और नक्सलियों के बीच 16 नवंबर को मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में पांच नक्सली मारे गए, दो जवान घायल हुए। यह इलाका घने जंगल और पहाड़ियों से घिरा हुआ है।

सुमित बड़ाई- कांकेर। फोर्स और नक्सलियों के बीच 16 नवंबर को मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में पांच नक्सली मारे गए, दो जवान घायल हुए। यह इलाका घने जंगल और पहाड़ियों से घिरा हुआ है। सड़कें नहीं हैं और जगह-जगह लैंड माइन्स और आईईडी होने का खतरा है। फोर्स भी हर कदम संभलकर रखती है। कोटरी नदी का गले तक पानी और नदी को पार करने के बाद पांच किलोमीटर घने जंगल में पैदल सफर।

मुठभेड़ की रिपोर्टिंग करने के लिए हरिभूमि और आईएनएच की टीम ग्राउंड जीरो तक पहुंची। सबसे पहला पड़ाव लगभग 15 किमी का घना जंगल और पहाड़ों के बीच से होते हुए मोटर साइकिल से पूरा किया। फोर्स ने मना किया। कहा, यहां जाना खुद को खतरे में डालना है। कही पर भी आईईडी, लैंड माइंस, और स्पाइक होल हो सकता है। रिपोर्टिंग करते वक्त टीम को जगह-जगह स्पाइक होल नजर आए, जो जवानों को फांसने के लिए नक्सली बनाते हैं। 

खतरनाक होते हैं स्पाइक होल 

पहले यह समझिए कि स्पाइक होले क्या होते हैं। स्पाइक होल में नक्सली लोहे के पुराने छड़, रॉड और बांस को छीलकर रखते हैं। उसे ऊपर से पत्तों या बांस की चटाई या सूखे कचरे से ढंक देते हैं। जवानों का पैर इस स्पाइक होल में फंसता है तो नुकीले छड़ जवानों के पैर और शरीर में बुरी तरह से घुस जाते हैं। केवल जवान ही नहीं बल्कि आम जनता और मवेशी भी इस इनकी चपेट में आकर बुरी तरह घायल हो जाते हैं।

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नक्सलियों की टूटी गढ़चिरौली से माढ़ तक सप्लाई चेन 

मारे गए पांच नक्सली गढ़चिरौली डिवीजन के थे। अब पांच और नक्सलियों के मारे जाने से यह डिवीजन लगभग खात्मे की ओर है। इनके द्वारा गढ़चिरौली क्षेत्र से वसूली और और माढ़ क्षेत्र में समान की सप्लाई का पूरा काम देख जाता था। नक्सलियों के मरने से माढ़ क्षेत्र में सप्लाई कोर की कमर टूट गई है। इनके द्वारा ही गढ़चिरौली क्षेत्र से माढ़ क्षेत्र में पूरा राशन आदि की सप्लाई होती थी ऐसा माना जा रहा है। माढ़ क्षेत्र में सप्लाई प्रभावित होगी जिसका नुकसान माढ़ क्षेत्र में काम कर रहे सभी नक्सलियों को अच्छा खासा पड़ेगा।

जगह-जगह मिले स्पाइक होल

हमने जगह-जगह स्पाइक होल देखे। वे इतने खतरनाक थे कि अगर गलती से भी उन पर पैर पड़ जाए तो घायल होने और हमेशा के लिए अपंग तक होने का खतरा हो सकता है। उसके बाद मोटर साइकिल से सफर फिर शुरू हुआ। कोटरी नदी का सफर गले तक का पानी और विशाल नदी को पार कर करीबन 5 किमी का पैदल सफर तय करने के बाद हम जा पहुंचे ग्राउंड जीरो।

खून के निशान और नक्सलियों का सामान

मुठभेड़ किसी जंगल व पहाड़ी में नहीं बल्कि गांव में ही हुई थी। जिस समय सुबह 6 बजे पुलिस गांव पहुंची। गांव से लगी पहाड़ी के में घात लगाए नक्सलियों ने हमला बोल दिया। जैसे ही पुलिस पार्टी पहुंची दोनों ओर से फायरिंग शुरू हो गई। करीब 3 घंटे तक फायरिंग के बाद जब फायरिंग रूकी तो पुलिस ने सबसे पहले गांव वालों को सुरक्षित किया पूरे गांव को एक साथ कर जमीन में लिटाया। फायरिंग करीब दो बजे तक चली जिसके बाद फायरिंग बंद हो गई। पुलिस ने जब सचिंग की तो नक्सलियों के पांच शव बरामद हुए। यह नक्सली गढ़चिरौली क्षेत्र के थे जो ग्राम मुसफर्सी होते हुए कही जा रहे थे। और सुबह पुलिस से इनका आमना सामना हो गया। मौके में आज भी इस दल का समान पड़ा हुआ है। जिसमें कुछ सरकारी दवाईयां, कपड़े और जूते जैसे दैनिक उपयोगी समान है। जमीन पर खून के धब्बे नजर आए। 
 

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