गौरव श्रीवास्तव- कांकेर। कांकेर जिले के धुर नक्सल प्रभावित माने जाने वाले परतापुर क्षेत्र के महला गांव में फिर से रौनक लौट आई है। यहां नक्सलियों की इतनी दहशत थी कि, पूरा गांव खाली हो गया था। ग्रामीण अपना घर, खेत सब कुछ छोड़कर जा चुके थे। वे सिर्फ जीना चाहते थे। साल 2010 में नक्सली आंतक के कारण पूरे गांव ने अपना घर-बार छोड़कर पखांजूर में शरण ली थी।
पुलिस ने गांव में खोला कैंप
इसके बाद, 2015 में पुलिस ने यहां बीएसएफ कैंप स्थापित किया और नक्सलियों के खिलाफ अभियान शुरू किया। इस संघर्ष में 6 जवानों ने शहादत दी, लेकिन पुलिस ने कैंप खोला और लगातार कोशिशों ने नक्सलियों को इलाके से खदेड़ दिया। अब गांव में शांति और खुशहाली लौट आई है, और धीरे-धीरे ग्रामीण अपने घर वापस आ गए हैं।
कलेक्टर पहुंचे महला गांव, विकास का दिया भरोसा
हाल ही में जिले के कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर ने महला गांव का दौरा किया। प्रशासन द्वारा शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों ने सड़क और पानी की बुनियादी सुविधाओं की मांग रखी। कलेक्टर ने जल्द से जल्द इन मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि लगातार चलाए जा रहे पुलिस अभियानों से नक्सली बैकफुट पर हैं। अब विकास कार्यों में किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं आने दी जाएगी। ग्रामीणों का जीवन सामान्य हो रहा है, और शासन की योजनाएं भी अब यहां तक पहुंच रही हैं।
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गांव में आएगी खुशहाली
महला गांव, जो कभी नक्सली आतंक से पीड़ित था। अब प्रशासन और पुलिस के प्रयासों से खुशहाल हो रहा है। ग्रामीणों की मांगों को जल्द ही पूरा किया जाएगा, जिससे क्षेत्र में विकास की गति तेज होगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में लगातार पुलिस के द्वारा चलाए जा रहे अभियान से नक्सली बैकफुट पर है और अब ग्रामीणों के विकास में कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।