प्रेम सोमवंशी- कोटा। छत्तीसगढ़ के रतनपुर में आदि शक्ति मां महामाया देवी का नवमी के दिन राजसी श्रृंगार किया गया। मंदिर में नवरात्र पर नौ दिनों तक लगातार श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। माता रानी की महाआरती के बाद हवन और कन्या भोजन करवाई गई।
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रतनपुर की पावन भूमि में विराजित शास्वत शक्तिपुंज आदिशक्ति महामाया देवी दया और करुणा की साक्षात प्रतिमूर्ति हैं। जो श्रद्धा पूर्वक समर्पित एक पुष्प से ही प्रसन्न हो जाती हैं। ममतामई मां अपने भक्तों की हर मनोकामनाएं पूरा करती हैं। नवरात्रि की नवमी तिथि में माता रानी का राजसी श्रृंगार किया गया, जिसमें माँ भगवती सोलह श्रृंगार से युक्त हुईं। उनकी एक झलक पाने के लिए भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
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चार किलो रत्नजड़ित स्वर्ण आभूषणों से हुआ माता का विशेष श्रृंगार
चार किलो रत्नजड़ित स्वर्ण आभूषणों से युक्त मां भगवती इतनी आकर्षक लग रही हैं कि, श्रद्धालु सुध-बुध खोकर उन्हें ही निहारते रहे। मां महामाया सोने की मुकुट, कुंडल, नथ, बिंदिया, रानीहार, कंठहार, मोहरहार, करधन, पायल, बिछिया आदि से दमक रही हैं। माता रानी के राजसी श्रृंगार के बाद उन्हें भोग अर्पित किया गया। इसके बाद महाआरती की गई। फिर 108 कुंवारी कन्याओं को भोजन करवाकर पूजा की विधि पूरी की गई।
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