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दुर्ग सहित प्रदेशभर में पंजाब और हरियाणा से आकर इस सीजन में हार्वेस्टर से कटाई का कारोबार चलता रहा है, लेकिन इस बार यहां के कई किसानों ने खुद ही हार्वेस्टर खरीद ली है।

देवीलाल साहू -भिलाई। अरली वेरायटी की धान फसल तैयार है और दशहरा के बाद उसकी कटाई भी शुरू हो गई है। मजदूरों की कमी और ज्यादा समय लगने की वजह से धान की कटाई हार्वेस्टर से होने लगी है। दुर्ग सहित प्रदेशभर में पंजाब और हरियाणा से आकर इस सीजन में हार्वेस्टर से कटाई का कारोबार चलता रहा है, लेकिन इस बार यहां के कई किसानों ने खुद ही हार्वेस्टर खरीद ली है। 

अकेले दुर्ग जिले में हर गांव के पीछे औसतन दो हार्वेस्टर मशीन धान कटाई के लिए हो गई है। दुर्ग जिले में इस खरीफ सीजन में 1.34 लाख हेक्टेयर में धान की फसल ली गई है। यहां 383 गांवों की धान फसल की कटाई के लिए 1060 हार्वेस्टर मशीनें हो गई है। पिछले पांच साल पहले इनकी संख्या 310 तक ही सीमित थी। इसलिए पंजाब व हरियाणा के कारोबारी बड़े पैमाने पर हार्वेस्टर लेकर खरीफ सीजन में आते और दो महीने तक करोड़ों का कारोबार कर चले जाते। इन राज्यों की हिस्सेदारी अब कम हो रही है।

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अकेले दुर्ग जिले में हर गांव के पीछे औसतन दो हार्वेस्टर मशीन

इस तरह चलता है कारोबार

एक दिन में 10 से 15 एकड़ तक धान की कटाई हो जाती है। यानी 10 एकड़ में 2500 रुपए चार्ज के हिसाब से एक ही दिन में 25 हजार रुपए बनते हैं। सीजन के 60 दिनों में 15 लाख रुपए का कारोबार एक हार्वेस्टर से हो जाता है। खास बात यह है कि हार्वेस्टर चलाने वाले ड्राइवर पंजाब व हरियाणा के ही होते हैं। ये हार्वेस्टर चालक महीने की 70 हजार रुपए सेलरी और प्रति एकड़ 70 रुपए बोनस लेते हैं।

मजदूरों की दिक्कतों की वजह से बढ़ रहा हार्वेस्टर का चलन

छत्तीसगढ़ की खेती-किसानी में मजदूरों की समस्या आम होती जा रही है। जिसकी वजह से हार्वेस्टर से धान कटाई का चलन हर साल बढ़ता ही जा रहा है। हार्वेस्टर से कटाई करने पर समय भी कम लगता है। दूसरी फसल के लिए खेत जल्दी तैयार हो जाती है। मंझोले और बड़े किसान हार्वेस्टर से ही धान कटाई करवाने लगे हैं। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संघ के महासचिव झबेंद्रभूषण वैष्णव कहते हैं कि मजदूरी की अपेक्षा हार्वेस्टर से कटाई में लागत भी घटती है।

दो साल में इन किसानों

ने खरीदे हार्वेस्टर दुर्ग बोरई के किसान सुत्तीक्षण यादव के पास दो हार्वेस्टर मशीन हो गई है। दो साल पहले एक हार्वेस्टर थी। नगपुरा के रूपेश यादव ने दो और गिरीश साहू ने एक हार्वेस्टर खरीदी है। राजनांदगांव जिले के सोमनी के किसान नेपाल साहू, करेला गांव के किसान सुरेश साहू, डांडेसरा के रघु यादव, खुरसुल के शंकर साहू और सलोनी राजनांदगांव के गोपाल यादव सहित कई ऐसे किसान हैं जिनके पास खुद के हार्वेस्टर हो गए हैं।

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प्रति एकड़ 2200 से

2500 रुपए कटाई चार्ज किसान बताते हैं कि हार्वेस्टर दो तरह के होते हैं। पहला ट्रैक्टर इंजन और दूसरा ट्रक इंजन हार्वेस्टर । ट्रैक्टर इंजन हार्वेस्टर की कीमत करीब 23 लाख और ट्रक इंजन वाली हार्वेस्टर की कीमत 33 लाख तक जाती है। हार्वेस्टर से कटाई प्रति एकड़ 2200 रुपए से 2500 रुपए तक है।

किसानों के लिए सरकार की ये योजनाएं

सरकार उन्नत कृषि के लिए किसानों को हार्वेस्टर खरीदी पर कई योजनाएं लाई है। हार्वेस्टर डीलर कैलाश बरमेचा बताते हैं कि भारत शासन द्वारा कृषकों को आर्थिक समृद्ध करने दो योजनाएं कृषि संचनालय द्वारा संचालित की जाती है। जिसमें बुवाई से लेकर कटाई तक के यंत्र खरीदने होते हैं जिसे कृषक 4 वर्षों तक पुनः विक्रय न करने हेतु बाध्य होता है। द्वितीय योजना बीज निगम द्वारा संचालित होती है जिसमें कृषक सिंगल यंत्र या अप यंत्र खरीद सकता है। इन योजनाओं में लगभग 40 प्रतिशत का अनुदान प्राप्त होता है। इसके अलावा एक योजना ऐसी है जिसमें विभागों से निवृत रखकर शासकीय बैंकों को दायित्व दिया गया है। जिसमें वर्ष भर में लगने वाले मूल पर साढे तीन परसेंट की दर से अनुदान मिलता है। यानी अगर सूत की दर 11:30 परसेंट है तो 330 परसेंट अनुदान पश्चात 7:30 परसेंट वार्षिक हो जाती है।
 

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