बिलासपुर। प्रदेश में पहली बार छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) में अब एमबीबीएस की पढ़ाई हिन्दी माध्यम में की जा सकेगी। मंगलवार को सिम्स के लाइब्रेरी में हिन्दी माध्यम की किताबें उपलब्ध कराए गई है। जिससे हिन्दी माध्यम से एमबीबीएस में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट को मेडिकल की पढ़ाई करने में आसानी होगी, वहीं पीजी के छात्रों में भी हिन्दी की आसान भाषा में समझ उपलब्ध हो सकेगी। एमपी के बाद छत्तीसगढ़ में भी मेडिकल के छात्रों को हिन्दी में चिकित्सा पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है, इस लेकर सिम्स प्रदेश का पहला मेडिकल कालेज बन चुका है जहां मेडिकल की पढ़ाई के लिए हिन्दी में किताबें उपलब्ध होंगी। सिम्स कालेज प्रबंधन ने 10 लाख की किताबें मंगवाई है, मंगलवार से सिम्स के लाइब्रेरी में सभी किताबें उपलब्ध भी हो चुकी है।

इस सत्र से की गई थी घोषणा 

राज्य के सरकारी मेडिकल कालेजों में इस सत्र से बैचलर ऑफ मेडिकल और बेचलर ऑफ सर्जरी की पढ़ाई हिन्दी में कराने का निर्णय लिया गया है। इस साल हिन्दी दिवस के अवसर पर इसकी घोषणा मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने की थी। घोषणा के बाद ही सिम्स कालेज प्रबंधन ने पुस्तकों के लिए 10 लाख का बजट बना इसका मांग पत्र भेज दिया था। खास बात यह है कि देश में बिहार और मध्यप्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ में भी मेडिकल के छात्र व छात्राएं हिन्दी में अध्ययन कर सकेंगें।

स्टूडेंट को मिलेगी सहुलियत 

मेडिकल कालेजों में बड़ी संख्या में ग्रामीण पृष्ठभूमि के स्टूडेंट आते है, मेडिकल की पढ़ाई अंग्रेजी भाषा में होने के कारण प्रतिभावान स्टूडेंट के विषयों में नंबर भी कम आते है लेकिन हिन्दी में पढ़ाई होने से विषय वस्तु को समझाने में काफी आसानी होगी, वहीं स्टूडेंट का कांफिडेंस भी बढेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी चिकित्सा शिक्षा अंग्रेजी के साथ ही अन्य भाषाओं में कराने पर जोर दिया गया है।

सेंट्रल लाइब्रेरी में रहेंगी पुस्तकें 

सिम्स मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. रमणेश मूर्ति ने बताया कि राज्य सरकार की घोषणा के बाद ही प्रबंधन ने पुस्तकों का आर्डर दे दिया था, करीब 10 लाख की राशि खर्च की गई है। कुछ विषयों के पुस्तक अभी नहीं आई है लेकिन वह भी कुछ ही महीनों में उपलब्ध होगी। सेंट्रल लाइब्रेरी में अब हिन्दी भाषा में चिकित्सा शिक्षा की पुस्तकें उपलब्ध रहेगी।