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छत्तीसगढ़ के बस्तर में भारी बारिश के चलते जन जीवन अस्त-व्यस्त सा हो गया है। जीवन को पटरी पर लाने के लिए ग्रमीण जद्दोजदहद कर रहे हैं। ग्रामीण खुद ही जुगाड़ से पुल बना रहे हैं। 

इमरान खान- नारायणपुर। आसमां से बरसी आफत के बाद बस्तर रेंज के नारायणपुर जिले यानी अबूझमाड़ में भी जनजीवन बिखर सा गया है। जन जीवन को पटरी पर लाने के लिए नारायणपुर जिले के ग्रमीण जद्दोजदहद कर रहे हैं। जिले के भंडरा पंचायत के आश्रित गांव हुच्चाकोट की यह तस्वीर सिस्टम पर सवाल उठा रही है। पांच गांवों के करीब तीन सौ परिवारों की समस्याओं को दूर करने के लिए ग्रामीण अब खुद देसी जुगाड़ कर रास्ता बना रहे हैं। 

बता दें कि, मेरोली नदी में बाढ़ आने से इस गांव का पुलिया टूट गया है। इससे पिछले चार दिनों से आवाजाही ठप्प पड़ गई है। ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। तंगाकर ग्रामीण खुद ही लकड़ी के बल्ली के जरिए रास्ता बना रहे हैं। यहां पर तीन दिनों बाद बुधवार को स्कूलों में पढ़ाई शुरू हो पाई है। रास्ता बंद होने से मुसीबतें बढ़ गई है। 

पुल ढहने से जनजीवन अस्त-व्यस्त 

हुच्चाकोट गांव में पांच साल पहले बना पुल बाढ़ के पानी में ढह गया। इस रास्ते से लगभग 300 परिवार राशन और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए यात्रा करते थे। पुल के ढहने से ये रास्ता पूरी तरह बाधित हो चुका है। पिछले चार दिनों से यहां का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कई दिनों से स्कूल प्रभावित रहे। शिक्षक और बच्चे दोनों ही स्कूल नहीं पहुंच पा रहे थे। 

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पुलिया की मरम्मत के लिए इस्टीमेट कर रहे तैयार 

इस मामले में एसडीएम वासु जैन ने कहा कि, पुलिया को बने हुए पांच साल से ज्यादा हो चुका है। इसकी मरम्मत के लिए इस्टीमेट तैयार किया जा रहा है, जिसे स्वीकृति के लिए संबंधित विभाग को भेजा जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि, पंचायत स्तर पर वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।

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