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नक्सली इलाकों में सुरक्षा कैंप खुलने की वजह से लोगों - में नक्सलियों का खौफ खत्म हो रहा है। यही वजह है कि अब नक्सलियों के बुलाने पर जनता जन अदालत में नहीं पहुंच रही है।

राजेश दास -जगदलपुर। नक्सली इस समय कई मोर्च पर जूझ रहे हैं। फोर्स लगातार नक्सलियों के इलाकों में घुस रही है। बड़ी संख्या में नक्सली मारे जा रहे हैं। जो इलाके नक्सलियो के लिए सुरक्षित माने जाते थे, वहां भी फोर्स घुस गई है। नक्सली इलाकों में सुरक्षा कैंप खुलने की वजह से लोगों - में नक्सलियों का खौफ खत्म हो रहा है। यही वजह है कि अब नक्सलियों के बुलाने पर जनता जन अदालत में नहीं पहुंच रही है। निर्दोष ग्रामीणों को पुलिस मुखबिरी के नाम पर मौत के घाट उतारकर जनअदालत का नाम दिया जा रहा है। 

जनता का समर्थन अब नक्सलियों को नहीं मिल रहा है। हाल ही में बीजापुर के जांगला इलाके में दो ग्रामीणों को मौत के घाट उतारा गया, इसमें एक ग्रामीण का शव फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था। आंतक फैलाने के नाम पर निर्दोष लोगों को पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर मौत के घाट उतारा जा रहा है उन्हें जनता का समर्थन नहीं मिल रहा है। इस वर्ष अब तक नक्सलियों द्वारा 59 लोगों को हत्या की गई। इनमें केवल तीन लोगों को जनअदालत लगाकर हत्या की गई। शेष ग्रामीणों को पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर हत्या की गई। सूत्र बताते हैं कि जनअदालत में लोग नहीं आए लेकिन आतंक फैलाने के लिए लोगों की हत्या की गई।

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1 से शुरू हुआ आकंड़ा 191 तक पहुंचा

आंकड़ों की बात करें तो राज्य गठन के बाद वर्ष 2001 में सुरक्षबलों ने सिर्फ एक नक्सली को मुठभेड़ में मार गिराया था, इस समय नक्सली बस्तर के सभी इलाकों में काफी पावरफुल थे यही वजह है कि राज्य गठन के बाद नक्सलियों से अधिक सुरक्षाबलों के जवान शहीद हुए थे। इसके बाद नक्सलियों के मारे जाने की संख्या में लगातार इजाफा होता रहा सुरक्षाबलों ने वर्ष 2002 में 4, 2003 में 4, 2004 में 3, 2005 में 20, 2006 में 60, 2007 में 63, 2008 में 66, 2009 में 108, 2010 में 71, 2011 में 35, 2012 में 32, 2013 में 31, 2014 में 35, 2015 में 47, 2016 में 134, 2017 में 69, 2018 में 112, 2019 में 65, 2020 में 40, 2021 में 51, 2022 में 30, 2023 में 20 तथा 8 नवम्बर 2024 तक इस वर्ष 191 कुल 1292 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया।

2005 से वर्ष 2010 के बीच सर्वाधिक ग्रामीणों की हत्या

नक्सलियों ने वर्ष 2005 से वर्ष 2010 के बीच सर्वाधिक ग्रामीणों की हत्या की। इस दौरान नक्सलियों ने लगभग 1 हजार ग्रामीणों को मौत के घाट उतारा। अधिकांश हत्या लोगों के सामने जन अदालत लगाकर की गई। आंकड़े के मुताबिक नक्सलियों ने राज्य गठन के बाद नक्सलियों ने वर्ष 2001 में 13 ग्रामीणों की हत्या की। वहीं वर्ष 2002 में 20, 2003 में 26, 2004 में 43, 2005 में 123, 2006 में 298, 2007 में 168, 2008 में 145, 2009 में 106, 2010 में 132, 2011 में 93, 2012 में 51, 2013 में 57, 2014 में 50, 2015 में 48, 2016 में 59, 2017 में 55, 2018 में 85, 2019 में 49, 2020 में 49, 2021 में 35, 2022 में 35, 2023 में 40, 8 नवम्बर 2024 तक 59 ग्रामीणों को मौत के घाट उतार चुकी है।

23 साल में 1297 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया

राज्य गठन के बाद अब तक सुरक्षाबलों ने 1297 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया। वर्ष 2024 सुरक्षाबलों के लिए काफी सफलता भरा रहा। इस वर्ष सुरक्षाबलों ने बस्तर संभाग के अलग अलग जिलों में सर्वाधिक 196 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया, जिन पर 2.50 करोड़ से अधिक का इनाम घोषित था। मारे गए नक्सलियों में 25 लाख से 5 लाख तक के शीर्ष नक्सली भी शामिल है, जिन्हें मुठभेड़ में मार गिराने के बाद कई अत्याधुनिक हथियार भी बरामद किया गया, जो नक्सलियों ने बीते वर्षों में सुरक्षाबलों से लूटने में कामयाब हुए थे।

आतंक फैलाने के लिए मारते हैं नक्सली

बस्तर आईजी पी  सुंदरराज ने बताया कि, मुखबिरी के नाम पर लगातार नक्सलियों द्वारा आम लोगों को निशाना बना रहे हैं। पूर्व की तरह जन अदालत में अब ग्रामीण नहीं जा रहे हैं और उन्हें जनता का समर्थन नहीं मिल रहा। यही वजह है कि निर्दोष ग्रामीणों पर आरोप लगाकर मौत के घाट उतार रहे हैं। यह नक्सलियों की कमजोरी की निशानी है। जल्द ही बस्तर को नक्सलियों से मुक्त किया जाएगा। 

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