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जाल में फंसे तेंदुए को पिजरे में कैद करने के बाद एक कैनाइन दांत टूटा देखा गया। चर्चा है कि कैद करने के दौरान हुई लापरवाही से तेंदुए का दांत टूटा होगा।

रायपुर। वन विभाग के अफसर वन्यजीव अधिनियमों को दरकिनार करते हुए अपनी मनमानी पर उतर आए हैं, जंगल सफारी में 24 चौसिंगा तथा एक जोड़ा नेवला प्रजाति के मीरकैट के मौत के मामले में जहां दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है, वहीं कांकेर से पिछले दिनों रेस्क्यू किए गए तेंदुए को जंगल में छोड़ने के समय अफसरों पर गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप है। कांकेर में जिस तेंदुए को रेस्क्यू कर छोड़ा गया है, उसका कैनाइन टीथ टूटा हुआ है। बावजूद इसके तेंदुए को उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के जंगल में मरने के लिए छोड़ दिया गया है। 

कांकेर वनमंडल में गुरुवार को तेंदुआ रेस्क्यू किया गया था और दूसरे दिन ही उसे उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में ले जाकर छोड़ दिया गया है। तेंदुए को जब रेस्क्यू किया गया, तब उसका कैनाइन टीथ पूरी तरह से सुरक्षित था। सूत्रों के मुताबिक पिंजरे में कैद तेंदुआ ने गुस्से में आकर लोहे के पिंजरा को काटने अपने कैनाइन टीथ से हमला किया, जिसके चलते उसका कैनाइन टीथ टूट गया। इस संबंध में अफसरों से संपर्क किया गया तो अफसर कुछ भी बताने से बचते रहे। तेंदुए को जंगल में छोड़ने जरूरी एसओपी का भी पालन नहीं किया गया।

तेंदुए को छोड़ने के समय ये लापरवाही बरती

■ तेंदुए को टाइगर रिजर्व में छोड़ने के पहले एनटीसीए से अनुमति नहीं ली गई।
■ सूत्रों के मुताबिक तेंदुए का कैनाइन टीथ टूट गया है, उस स्थिति में तेंदुआ शिकार करने के काबिल नहीं रहेगा। ऐसे में तेंदुए को छोड़ने के बजाय जू में रखना था।
■ कांकेर के आमाबेड़ा में एक महिला को मारने के बाद तेंदुए पर उस महिला के अंग खाने की बात सामने आई है। इसके बाद तेंदुए ने एक अन्य व्यक्ति पर हमला किया। ऐसे में मैन हिटर होने के बाद एनटीसीए की गाइडलाइन के अनुसार उसे जंगल में नहीं छोड़ना था।
■ एनटीसीए की गाइडलाइन के मुताबिक तेंदुए को जहां से रेस्क्यू किया गया, उसे उस क्षेत्र के 10 किलोमीटर के रेंज में छोड़ा जाना था। इसके विपरीत तेंदुए को उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया।
■ एनटीसीए की गाइडलाइन के मुताबिक तेंदुए को जंगल में छोड़ने के समय रेडियो कॉलर लगाना था, वन अफसरों ने तेंदुए को रेडियो कॉलर नहीं लगाया, उसे ऐसे ही छोड़ दिया।

लापरवाही की पराकाष्ठा 

वन्यजीवों की रक्षा को लेकर वन अफसर के साथ डॉक्टर कितने गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। सफारी में चौसिंगा की मौत 29 नवंबर 2023 को हुई थी। इसके एक सप्ताह बाद, जहां वन्यजीव डॉक्टर बैठते हैं, उसके 20 मीटर दूरी पर मीरकेट की मौत हो जाती है। बदबू आने पर 12 दिसंबर 2023 को वन्यजीव चिकित्सक बाड़े का निरीक्षण करने जाते हैं, तब उन्हें मीरकेट की सड़ी- गली लाश मिलती है। इससे स्पष्ट होता है. डॉक्टरों ने चौसिंगा की मौत के बाद जंगल सफारी में रह रहे वन्यजीवों का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं किया। बावजूद इसके दोषियों के खिलाफ किसी तरह से कार्रवाई नहीं होने से वन अफसरों पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं।
 

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