Logo
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बहुभाषावाद पर जोर दिया जा रहा है। विद्यालय के बच्चों को अलग-अलग प्रदेश की भाषा सिखाई जा रही है।

सूरज सिन्हा/बेमेतरा- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बहुभाषावाद पर जोर दिया जा रहा है। इसी कड़ी में विद्यालय के बच्चों को अलग-अलग प्रदेश की भाषा सिखाई जा रही है। संस्कृति से बच्चों को अवगत कराया जा रहा है। बेरला विकासखंड के कंडरका स्कूल की शिक्षिका केंवरा सेन ने बच्चों को जापानी भाषा सिखाई है। 

बता दें, अंतर्राष्ट्रीय जापानी भाषा सिखकर बच्चों को जापानी भाषा सिखाने वाली छत्तीसगढ़ की पहली शिक्षिका हैं। उनकी लिखी हुई पहली पुस्तक किहो न तेकि ना निहोंगों (बेसिक जापानी भाषा की पुस्तक) का विमोचन पिछले दिनों महाराष्ट्र राज्य के वेध सम्मेलन के दौरान की गई है। 

जोगदेव सर से जापानी सीखना सौभाग्य की बात है- शिक्षिका 

शिक्षिका केंवरा सेन ने बताया कि, इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में महाराष्ट्र राज्य के राज्यपाल महामहिम रमेश बैस, मेरे प्रेरणास्रोत नंदकुमार सर (IAS) पूर्व शिक्षा सचिव (छत्तीसगढ़) जो अभी वर्तमान में महाराष्ट्र में शिक्षा और मनरेगा विभाग में काम करते हैं। सुनील जोगदेव सर (जापानीस भाषा के कोच) हनुमान रिसोर्स डेवलपमेंट जो महाराष्ट्र के औरंगाबाद से है। जिनसे मैने ऑनलाइन जापानी भाषा को सीखा और महाराष्ट्र के साथ छत्तीसगढ़ में भी इस भाषा को बच्चों को सिखाया है। जोगदेव सर जी ऐसे महान गुरु और प्रेरणास्रोत है जो शिक्षक के पद पर कार्यरत नहीं होते हुए भी एक शिक्षक की भूमिका को ईमानदारी से निभा रहे हैं। शिक्षिका केंवरा सेन कहती है कि ऐसे गुरु का शिष्य बनना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। 

500 पुस्तक छपकर आ गई

पुस्तक महाराष्ट्र के पुणे शहर में नंदकुमार सर जी (IAS) की तरफ से 500 पुस्तक छपकर आ गई है। शिक्षिका केंवरा सेन कहती है कि, मेरे प्रेरणास्रोत रहे नंदकुमार सर जी आज भी महाराष्ट्र में होते हुए भी महाराष्ट्र के बच्चों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के बच्चों के लिए भी प्लानिंग करते हैं। ताकि हमारे छत्तीसगढ़ के बच्चे भी किसी भी क्षेत्र में पीछे ना रहे। बहुत कुछ बदलाव शिक्षा के क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। नंदकुमार सर के सानिध्य में कोविड काल में भी छत्तीसगढ़ के बच्चे ऑनलाइन रहकर स्पोकन इंग्लिश और जापानी भाषा को भी सिखाया है। 

हर भाषा बच्चों को सीखने का अधिकार है 

नंदकुमार सर जी शिक्षा के क्षेत्र में जो कार्य किये गए हैं। शिक्षिका केंवरा सेन कहती है कि, बच्चों को बहुभाषी शिक्षण के अंतर्गत चाहे हमारे देश की भाषा हो या विदेश की भाषा हो, सीखने की आवश्यकता है l इस युग में हमारे शासकीय विद्यालय के बच्चें भी पीछे ना रहे। हम उसे ऐसे अवसर प्रदान करे, ताकि वे अपने आप को समय के साथ अपडेट कर सकेl  देश के अलावा विदेश में भी एक अच्छा जीवन-यापन कर सके। यही इस पुस्तक को लिखने का मेरा मकसद है। आज मेरे विद्यालय कंडरका में 20 बच्चें जापानी भाषा सीख रहे हैं। 

मेरे बच्चों के लिए समर्पण

मेरा यह ज्ञाना मेरे बच्चों के लिए समर्पण है। अभी तीन बच्चियाँ कोमिका यादव, जानकी निषाद, नागेश्वरी यदु ये तीनों मिलकर पूरे पुस्तक की विडियो तैयार करके अपने खुद के (कोमिका यादव) चैनल यूट्यूब पर अपलोड कर रही है। ताकि अन्य लोगों को भी इसका लाभ मिल सके, और अपना सुनहरा भविष्य तैयार कर सके। शिक्षिका केंवरा सेन के इस अनुकरणीय कार्य पर बेरला बीईओ जयप्रकाश करमाकर, बीआरसी बेरला  खोमलाल साहू, सहायक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी अधेश उइके, नारायण ठाकुर, लव साहू, ताकेश्वर साहू, राजेन्द्र झा प्राचार्य, प्रहलाद कुमार टिकरिहा प्रधान पाठक ने हर्ष व्यक्त किया है और सभी ने बधाई और शुभकामनाएं दी है।

5379487