रायपुर। बढ़ती उम्र के साथ कमजोर दिला और अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी के साथ दुर्लभ रक्त विकार से पीड़ित 70 साल की महिला को ट्रांसकैथेटर माइट्रल वाल्व इंप्लांट किया गया। बीमारियों की वजह से महिला की ओपन हार्ट सर्जरी असंभव थी, इसलिए एंजियोप्लास्टी में स्टेंट लगाने जैसी प्रक्रिया पूरी कर बिना छाती चीरे वॉल्व ट्रांसप्लांट किया गया।

एडवांस कार्डियक इंस्टिट्यूट के कार्डियोलॉजी विभाग में राज्य के ट्रांसकैथेटर माइट्रल वाल्व इम्प्लांट की प्रक्रिया पूरी की गई और मरीज के पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। कार्डियोलॉजी प्रमुख डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि महिला माइट्रल रेगर्गिटेशन (एमआर) से पीड़ति थी, जो एक सामान्य हृदय रोग है। दस साल पहले मरीज को दिल का दौरा और वाल्व रोग के लिए कई ऑपरेशनों से गुजरना पड़ा था, जिसमें कोरोनरी बाईपास सर्जरी और माइट्रल वाल्व सर्जरी शामिल थी। पिछले दशक इसमें खराबी आने के बाद बेहद कमजोर दिल के साथ माइट्रल वाल्व में लीकेज की समस्या आने लगी थी।

सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ने दी शुभकामनाएं

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इस उपलब्धि के लिए एडवांस कॉर्डियक इंस्टिट्यूट की टीम को बधाई दी है। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल, डॉ. भीम राव आंबेडकर अस्पताल से संबद्ध एडवांस कॉर्डियक इंस्टिट्यूट जटिल हृदय रोग के सफल इलाज में अपनी नई पहचान स्थापित कर रहा है। मरीज के परिवार वालों ने भी इसके लिए चिकित्सकीय टीम का आभार माना है।

क्या है टीएमवीआर वॉल्व इन वॉल थैरेपी

डॉ. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार, टीएमवीआर (ट्रांसकैथेटर माइट्रल वाल्व रिप्लेसमेंट) वाल्व-इन-वाल्व थैरेपी एक अत्याधुनिक प्रक्रिया है। यह उन रोगियों के लिए डिजाइन किया गया है, जो पहले माइट्रल वाल्व सर्जरी करा चुके हैं, लेकिन अब वाल्व विफलता अनुभव कर रहे हैं। प्रक्रिया में एक कैथेटर को पैर की नस के माध्यम से डाला जाता है और हृदय तक पहुंचाया जाता है, जहां नया वाल्व खराब हो चुके सर्जिकल वाल्व के भीतर रखा जाता है।