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छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग दशकों से नक्सल आतंक झेल रहा है। इस दौरान अनेक महिलाएं, बच्चे और परुष नक्सल बम-बारूद की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं, वहीं अनेक स्थयी रूप से अपंग हो चुके हैं। 

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग से दिल्ली पहुंचे पीड़ितों ने शुक्रवार को देश की राजधानी के कांस्टीट्यूशन क्लब में अपनी व्यथा और चुनौतियों को साझा किया। नक्सली आतंक से बुरी तरह प्रभावित इन ग्रामीणों ने अपने दर्दनाक अनुभवों के माध्यम से सरकार से अधिक मदद और समर्थन की मांग की। बस्तर के इन नागरिकों ने न केवल नक्सली हिंसा का सामना किया है, बल्कि उन्होंने अपने गाँवों में विकास की कमी और आधारभूत सुविधाओं की अनुपलब्धता से भी लंबे समय तक जूझा है।

पीड़ितों ने छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि बस्तर के विकास के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। हाल ही में शुरू की गई 'नियद नेल्ला नार योजना' ने इस क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं के विकास को एक नई दिशा दी है। इस योजना के माध्यम से बस्तर के दूरदराज़ के इलाकों में सड़क, पानी, बिजली, और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुँचाने का काम हो रहा है, जिससे लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो रहा है। 

amit shah

बम विस्फोट में युवक ने खोया अपना पैर

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के अवलम मारा ने 22 फरवरी 2017 को माओवादी प्रेशर बम के विस्फोट में अपना बायाँ पैर गंवा दिया। अवलम जंगल में बाँस काटने के लिए गया था, जब यह हादसा हुआ। जैसे ही उसने बम पर पैर रखा, तेज धमाका हुआ और उसका पैर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। इस हादसे ने उसे जीवनभर के लिए बैसाखी के सहारे जीने को मजबूर कर दिया। यह घटना माओवादियों की हिंसा का एक और दर्दनाक उदाहरण है, जिसने अवलम के जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। अब वह कठिन आर्थिक स्थितियों का सामना कर रहा है, क्योंकि वह अपने परिवार के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत था।

धमाके में मासूम बच्ची ने खोई अपनी आँख

नारायणपुर जिले की 13 वर्षीय राधा सलाम 18 दिसंबर 2013 को माओवादी विस्फोट का शिकार हुई। राधा अपने चचेरे भाई के साथ खेलते हुए एक चमकदार वस्तु उठाने गई थी, जो दरअसल माओवादियों द्वारा लगाए गए बम का हिस्सा था। बम को उठाते ही धमाका हुआ, जिससे राधा ने अपनी एक आँख खो दी और उसके चेहरे पर गंभीर घाव हो गए। यह हादसा राधा और उसके परिवार के लिए बेहद कठिनाईपूर्ण साबित हुआ, क्योंकि उसकी माँ पहले ही निधन हो चुका था और अब उसके पिता को उसकी देखभाल करनी पड़ रही है। राधा की स्थिति देखकर स्थानीय प्रशासन ने उसे आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया है, लेकिन यह घटना अब भी उसे मानसिक और शारीरिक रूप से झकझोर रही है।

महिला ने धमाके में खोया पैर और सहारा

दंतेवाड़ा की भीमे मरकाम, जो अपने परिवार का पालन-पोषण पशुपालन से कर रही थीं, 9 नवंबर 2016 को माओवादी IED धमाके की शिकार हो गईं। इस हादसे में उन्होंने अपना बायाँ पैर खो दिया और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें आईं। भीमे के लिए यह हादसा एक बहुत बड़ा झटका साबित हुआ, क्योंकि वह अपने परिवार के लिए मुख्य सहारा थीं। अब वह अपने जीवन और परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए संघर्ष कर रही हैं। स्थानीय प्रशासन ने उन्हें सहायता का भरोसा दिया है, लेकिन इस घटना ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है।

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यात्रियों पर हमले में 15 ग्रामीणों की हुई थी मौत

17 मई 2010 को माओवादियों ने एक यात्री बस पर हमला किया, जिसमें 15 निर्दोष ग्रामीण मारे गए और 12 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। सुकमा जिले के निवासी दुधी महादेव इस हमले में अपने दाहिने पैर से हाथ धो बैठे। अन्य घायल यात्रियों में ममता गोरला भी थीं, जिनके शरीर पर गहरे घाव आए। यह हमला माओवादियों की हिंसा की एक और क्रूर घटना थी, जिसमें मासूम लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे। इन कहानियों ने वहाँ उपस्थित लोगों को गहराई से झकझोर दिया और नक्सली हिंसा के मानवीय चेहरे को उजागर किया। 

केंद्र सरकार और राज्य सरकार का नक्सल उन्मूलन पर संकल्प 

बस्तर में नक्सली हमलों और धमाकों में अपंग हुए लोगों ने नई दिल्ली में गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर आपबीती सुनाई। गृहमंत्री ने नक्सल पीड़ितों की समस्याओं पर गंभीरता दिखाई। उन्होंने इन लोगों के संघर्ष और साहस की प्रशंसा की। आश्वासन दिया कि सरकार उनकी समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाएगी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रेरणा पर बस्तर क्षेत्र के लगभग 70 नक्सल पीड़ित परिवार शाह से मिले।

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