राजेश दास - जगदलपुर। बीजापुर के नक्सल प्रभावित मुदवेंडी, हिरोली, कावड़गांव व पुसनार समेत दर्जन भर से अधिक गांवों में दो दशक बाद बुधवार को स्कूल की घंटी बजी। इससे पूर्व सलवा जुड़म के समय से स्कूलों में तालो लग गया था, तब बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी थी। इस सत्र में इन चारों स्थानों पर स्कूल के दरवाजे खुले गए। बच्चों का यहां स्वागत हुआ। नियद नेल्लानार के जरिए विकास की पहुंच और स्कूल वेंडे वर्राट पंडूम से शिक्षा की मुख्यधारा में लौटने की अपील का असर अब माओवाद प्रभावित इलाकों में दिखने लगा है। 20 सालों से अशिक्षा का दंश झेल रहे मुदवेंडी, हिरोली, कावड़गांव व पुसनार गांव में प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देशों से और जिला प्रशासन के प्रयासों से सुनहरे भविष्य की किरणे दिखने लगी है और अब यहां के नौनिहाल क ख ग घ की शिक्षा से वंचित नही रहेंगे।
बदलाव की यह शुरूआत स्कूल वेंडे वर्राट पंडूम के घर-घर दस्तक अभियान से संभव हुआ जब जिला प्रशासन की टीम शाला त्यागी और अप्रवेशी बच्चों की शाला में वापसी के लिए ग्रामीणों के बीच पहुंची। शिक्षा के फायदे और शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ की जानकारी देकर ग्रामीणों को आश्वास्त किया गया कि भविष्य को संवारने में शिक्षा ही महत्वपूर्ण माध्यम है। सड़क सुरक्षा के विस्तार के बीच ग्रामीण अब आश्वस्त है कि उनके बच्चों का भविष्य विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा।
शिक्षा के मुख्यधारा से जुड़कर प्रदेश का नाम करें रोशन
बीजापुर कलेक्टर अनुराग पाण्डेय ने बताया कि, शाला प्रवेत्शोत्सव के दिन जिले के सुदूर क्षेत्र गंगालूर के ग्राम पुसनार, कांवड़गांव व मुतवेंडी में पहुंचकर पुनः संचालित स्कूल के नव प्रवेशी विद्यार्थियों को शिक्षा के मुख्यधारा में जुड़कर मन लगाकर पढ़ाई करने व अच्छी शिक्षा प्राप्त कर घर-परिवार, समाज, प्रदेश व राष्ट्र का नाम रौशन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। अज्ञानता के अंधकार को दूर करने शिक्षा के महत्व की जानकारी ग्रामीणों व बच्चों को देते हुए बताया जीवन की बहुत सी समस्याओं का हल शिक्षा से संभव है।
स्कूल वेंडे वर्राट पंडुम अभियान से 23 बंद और 32 नए स्कूल की हुई शुरुआत
जिला प्रशासन की मुहिम स्कूल वेंडे वर्राट पंडुम का व्यापक प्रभाव माओवाद प्रभावित इलाकों में देखने को मिल रहा है। जिला प्रशासन की पहल पर गांव-गांव में सकारात्मक साबित हो रही है। यही वजह है कि नये शिक्षा सत्र में 23 बंद स्कूल और 32 नये स्कूल खोले जा रहे हैं। मुदवेंडी, डुमरीपालनार, तोड़का, सावनार, कोरचोली, हिरोली, पुसनार, कावड़गांव जैसे गांव में 20 साल बाद स्कूल खोला गया हैं।
कावड़गांव में जहां नक्सलियों का स्तंभ वहीं खुला स्कूल
बीजापुर के कावड़गांव में जिस जगह दो दशक के बाद स्कूल खोला गया है, इसके ठीक सामने मृतक स्तंभ बना हुआ है। जिसमें नक्सलियों द्वारा मुठभेड़ में मारे गए साथियों के नाम अंकित है। यहां सुरक्षा के साए में शिक्षा व विकास की गति देने जिला प्रशासन प्रयासरत है। नक्सल प्रभावित कावड़गांव में सलवा जुड्म के समय से ही स्कूल बंद हो चुके थे। यहां नक्सलियों का प्रभाव देखने को मिलता था लेकिन अब यहां के ग्रामीणों को विश्वास में लेकर विकास के साथ बच्चों को भविष्य गढ़ने प्रयास शुरू किया गया है।
स्कूल के लिए स्वयं झोपड़ी तैयार कर रहे हैं ग्रामीण
विश्वास बहाली के मुहिम के बीच अब माओवाद प्रभावित इलाकों का माहौल तेजी से बदलता दिख रहा है। ग्रामीण स्कूल के लिए स्वयं झोपड़ी तैयार कर रहे हैं, ताकि शिक्षा के मंदिर में उनके बच्चों का भविष्य संवर सके। यहां जिला प्रशासन आवश्यक बुनियादी जरूरतों के अलावा गांव के ही शिक्षित बेरोजगारों को शिक्षादूत की जिम्मेदारी देकर निश्चित मानदेय मुहैया करा रही है।