धमतरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी के रहने वाले दंपति पेड़ लगाबो तभे तो फल खाबो मिशन के तहत अब तक 15 हजार किलो बेस्ट क्वालिटी का जैविक अमरूद लोगों को उपहार स्वरूप बांट चुके हैं। शासकीय सेवा रहते हुए तुमनचंद और रंजीता साहू अपनी सैलरी की आधी राशि गौ सेवा, पर्यावरण और नवाचारी शिक्षा हेतु लगाते है। उनके कामों से अन्य लोगों को भी को प्रेरणा मिल रही हैं। 

मगरलोड से लगे हुए गांव भैंसमुंडी के रहने वाले तुमनचंद और रंजीता साहू का कहना है कि, बढ़ती महंगाई, बीमारियों, जैविक भोजन की कमी, और पर्यावरण असंतुलन सबका एक ही समाधान है पेड़ लगाना। इसको लोगों ने सराहा और स्वीकारा। बच्चों को अमरूद का फल दे कर पेड़ लगाने और पर्यावरण बचाने का तरीका बहुत ही उत्कृष्ट है। छोटे- छोटे बच्चे अमरूद देखकर बहुत खुश हो जाते हैं और बचपन से ही पेड़ लगाने का प्रेरणा लेते है।

अब तक 15 हजार किलो अमरुद का वितरण कर चुके हैं

साहू दंपति की सेवा और समर्पण की कहानी 

खुद पेड़ लगाएं साल भर देख रेख करते है और फल लगने पर स्कूलों में बांट देते है और सबको यही कहते हैं पेड़ लगाबो तभे तो फल खाबो संघर्ष से भरा जीवन से मिली प्रेरणा कुछ लोगों ने तो "अमरूद मेन" भी कहने लगे। नवाचारी शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, गौ और जीव सेवा के लिए तन मन धन और जीवन समर्पित विगत दस सालों से सेवा कामों में लगे हुए हैं। 

सामाजिक सेवा में खर्च करते हैं वेतन की राशि 

पर्यावरण, गौ-सेवा, शिक्षा, जैविक खेती और सामाजिक सेवा में अपनी वेतन की आधी राशि खर्च करते है। इन कामों के लिए पति पत्नी दोनों एक साथ मिल कर सहयोग करते है। दोनों दम्पति कहते हैं कि,हमारा एक ही उद्देश्य है सेवा परमो धर्म:  अच्छा इंसान और समाज निर्माण के लिए प्रयास करना। जो कि नैतिक मूल्यों और जीवन आदर्शो पर आधारित शिक्षा से संभव है।