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सुकमा जिले में आयोजित 8 दिवसीय व्यक्तित्व विकास शिविर का समापन हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में युवाओं समेत विभिन्न आयु वर्गों के लोगों ने बढ़- चढ़कर भाग लिया।

लीलाधर राठी- सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के दोरनापाल में आयोजित व्यक्तित्व विकास शिविर का समापन हुआ। इस दौरान नगर के युवाओं और ग्रामीणों ने बढ़- चढ़कर हिस्सा लिया। 22 दिसंबर से कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी। जिसमें युवाओं को भारतीय ज्ञान-विज्ञान की प्राचीन परंपराओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। 

व्यक्तित्व विकास शिविर के समापन समारोह का आयोजन दोरनापाल में किया गया था। शिविर में शारीरिक प्रशिक्षण के माध्यम से आत्मरक्षा, समाज और राष्ट्र रक्षा के लिए सक्षम बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके अलावा नियुद्ध, दंड संचालन, समता और योग का प्रशिक्षण भी दिया गया। जो युवाओं को न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है। इस शिविर में राष्ट्रीय चरित्र निर्माण और समाज के प्रति समर्पण की भावना विकसित करने पर जोर दिया गया। 

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भारतीय संस्कृति को बनाए रखने के महत्व पर दिया गया जोर 

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में विभाग प्रचारक महेंद्र नायक उपस्थित थे। इस दौरान उन्होंने युवाओं को संगठित और समर्थ भारत के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। साथ ही शिविर में भाग लेने वाले युवाओं के जीवन में नए उद्देश्य और दिशा का संचार किया।उनके विचारों ने राष्ट्रीय चरित्र, भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि, इस प्रकार के शिविरों का आयोजन संगठित भारत और समर्थ भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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