जीवानंद हलधर- जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के मांझीगुड़ा गांव की महिलाएं 10 साल से शौचालय और पानी की मांग को लेकर गुहार लगा रही हैं। इसी की मांग को लेकर आदिवासी महिलाएं एक बार फिर बस्तर कलेक्टर के पास समस्या लेकर पहुंची। लेकिन दुर्भाग्यवश उनको वहां पर सुनने वाला कोई नहीं मिला। बेचारी बेबस महिलाएं छोटे बच्चों को लेकर धूप में अफसरों के आने का घंटों इंतजार करती रहीं।
बस्तर की आदिवासी महिलाएं पानी और शौचालय की मांग को लेकर 10 सालों से दफ्तरों के चक्कर काट रहीं हैं. जिम्मेदार अफसर उनकी समस्याओं को हल करना जरुरी नहीं समझ रहे है. @BastarDistrict #Chhattisgarh #Tribal pic.twitter.com/z9vOtGZwp0
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) October 22, 2024
दरभा ब्लाक के लेन्द्रा पंचायत माँझीगुड़ा से महिलाएं शौचालय और पानी की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंची। 25 किमी. दूर तपती धूप में मासूम बच्चों को लेकर मिलने पहुंची थी। उनकी मांग से गांव के सरपंच और जनपद के नेताओं ने भी मुह मोड़ लिया है। जिसके कारण बेबस महिलाएं कलेक्टर से मिलना चाहती थी। लेकिन इनकी मुलाकात कलेक्टर से नहीं हो पाई। बाहर खड़ी उनका आस लगाए हुए इंतज़ार करती रही।
10 सालों से कर रहीं शौचालय की मांग
महिलाओं ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि, बीते 10 सालों से वे शौचालय और पानी की मांग को लेकर गुहार लगाती रही है। कई बार दफ्तरों के चक्कर लगाकर समस्या की शिकायत भी की थी। लेकिन किसी ने इस समस्या का हल करना जरुरी नहीं समझा। मंगलवार को जिलेभर के अधिकारियों के साथ साप्ताहिक बौठक की जाती है। इसके अलावा समस्याओं को दूर करने की योजनाएं भी बनाई जाती है। लेकिन इन बेबस महिलाओं को देखकर ऐसा लगता है अंदर बैठकर अधिकारी किसकी समस्या को हल करने के लिए योजना बना रहे हैं।
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जिम्मेदारों को सुध नहीं
सरकार हर गांव तक विकास पहुंचाने का काम तो करती है इसके लिए राशि की भी स्वीकृति मिल जाती है। लेकिन जनप्रतिनिधियों और अफसरों की लापरवाही के कारण आदिवासी ग्रामीणों को समस्या हो रही है। वहीं परेशान महिलाओं ने बताया कि, वे कई बार शिकायत के बाद भी उनकी समस्या 10 साल से अधूरी है। इससे यह पता चलता है की नेता सर विकास के नाम पर हवा हवाई बातें ही करते हैं। जबकि धरातल के लोग आज भी विकास से कोसो दूर हैं। जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं।