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राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर सूबे के डीजी अशोक जुनेजा और राज्य के खुफिया चीफ अमित कुमार ने सभी जिलों के एसपी एवं रेंज आईजी की एक बैठक ली। जहां उन्होंने कई अधिकारियों को फटकार भी लगाई है। 

रायपुर। प्रदेश में कानून व्यवस्था की समीक्षा के लिए शनिवार को प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा और राज्य के खुफिया चीफ अमित कुमार ने सभी जिलों के एसपी एवं रेंज आईजी की एक बैठक ली। इस बैठक में प्रदेश के सभी आला पुलिस अफसरों के साथ ही दिल्ली से आए आईफोरसी के सदस्य जितेन्द्र सिंह भी शामिल हुए। भारत सरकार की पूर्व में हुई बैठक के दौरान यह पाया गया कि साइबर क्राइम के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस पिछड़ी हुई है। जिसको लेकर डीजी ने सभी एसपी को बेहतर कार्रवाई के निर्देश दिए है। इसके अलावा बलवा ड्रिल के लिए सभी जिलों को जारी फंड का इस्तेमाल नहीं होने को लेकर भी कड़ी नाराजगी दिखाई गई। कानून व्यवस्था के मामले में ज्यादातर जिलों में तैयारी आधी अधूरी मिली।

मिली जानकारी के अनुसार बलौदाबाजार में बलवा ड्रिल का पूरा सामान बया चौकी में दो साल से पड़ा हुआ था, जिसे जिला मुख्यालय तक नहीं लाया गया था। इसको लेकर भी डीजी ने नाराजगी जाहिर की। इस बैठक के दौरान ही जब समीक्षा शुरू हुई और रायपुर जिले के आंकड़े सामने आए तो अपराध को देखकर डीजी भड़क उठे। इनमें ऐसा पाया गया कि रायपुर जिले में गंभीर अपराधों में भी पुलिस अफसर स्थल पर नहीं जा रहे है। इसके अलावा जब रायपुर पुलिस से सवाल पूछे गए तो उन्होंने बताया कि शहर में 80 पॉइंट पर गश्त लगाया गया है, जबकि कर्मचारियों की संख्या 40 ही थी जिसको लेकर भी नाराजगी जाहिर की गई। बैठक के दौरान ही इशारे में रायपुर रेंज के अफसरों को सुधार करने कहा गया है।

इसके बाद एडीजी इंट अमित कुमार ने यह भी कहा कि रायपुर और राजनांदगांव जिले में गाड़ियां अधिग्रहण की जा रही है। पुलिस कर्मियों ने गाड़ी खरीद कर लगवा रखी है। इस स्थिति पर राजनांदगांव और रायपुर के अधिकारियों के पास कोई जानकारी नहीं थी। इसके बाद उन्होंने कहा कि पुलिस चौक चौराहो पर बदमाशों पर सख्त होने की बजाए विश्वसीयनता के अभाव से जूझ रही है। उदाहरण देकर बताया गया किस प्रकार से ऐसी शिकायतें प्राप्त होती है जहां पुलिस के द्वारा संगठित अपराध को प्रश्रय दिया जाता है।

व्यावसायिक विवाद में पुलिस की रुचि

रायपुर और दुर्ग जिले के संबंध में कहा गया कि व्यावसायिक विवादो को निपटाने में पुलिस रुचि ले रही है। बिना एफआईआर कर फ्लाइट से जाकर नोटिस सर्व करती है। एक तरीके से रिकवरी का माध्यम बन जाती है। इसपर एसपी से पूछा गया कि हवाई जहाज की टिकट कौन कराता है, जिसपर कोई जवाब नहीं मिला। सख्त रवैया में एडीजी इंट अमित कुमार ने कहा कि पुलिस रिकवरी एजेंट न बने, कानूनी काम करे।

बंद मिले कंट्रोल रूम के नंबर

बैठक के दौरान ही जिले के कंट्रोल रूम के बारे में समीक्षा की गई। एडीजी इंट ने सभी जिलों के कंट्रोल रूम में फोन लगाकर पड़ताल की। इस पड़ताल में पता चला कि कई जिलों में फोन सालो से खराब है। जिसको लेकर सभी जिलों के एसपी की क्लास ली गई और 24 घंटे में ठीक कराने के निर्देश दिए।

स्टाफ पर कंट्रोल की हिदायत

डीजी ने साफ तौर पर सभी जिला एसपी को हिदायत दी कि अपने स्टाफ पर नियंत्रण रखें। यह निर्देश दिए गए थे कि स्टाफ की ड्यूटी निर्धारित हो वे अपने मन से ड्यूटी न करे। स्टाफ के कर्मी विदेश घूम कर आ जाते है और अफसरो को जानकारी नहीं रहती। जिलों में अफसर दफ्तर में समय नहीं दे रहे हैं, स्टाफ अपनी मनमर्जी कर रहे हैं। जिसके कारण निचले स्टाफ में एसपी ऑफिस काे लेकर अच्छी धारणा नहीं बनती। समयमान वेतनमान कई जिलों के स्टाफ को नहीं दिया गया है।

शराब तस्करी पर रोक के निर्देश

बैठक के दौरान एक बार फिर राजनांदगांव पुलिस रेंज को शराब की अवैध तस्करी पर अंकुश लगाने के सख्त निर्देश दिए गए है। इसके अलावा डीजी ने जब राजनांदगांव रेंज के एसपी से पूछा तो उन्हें कानून व्यवस्था रिपोर्ट की जानकारी ही नहीं थी। जो रिपोर्ट 25 से 30 पेज की होनी चाहिए, उन्होंने तीन पेज की बताया। जिसको लेकर मोहला मानपुर एसपी को डीजी ने फटकार लगाई।

गांजा तस्करी पर विस्तार से चर्चा

बैठक के दौरान ही हाल ही में रेलवे में पकड़े गए गांजा तस्करी के मामले का उदाहरण देते हुए विस्तार से चर्चा की गई। डीजी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह चिंताजनक है कि जीआरपी के सिपाही ही गांजा तस्करी करा रहे है एवं इस अपराध से जुड़े हुए है। जिनके तार पश्चिम बंगाल से मध्यप्रदेश से जुड़े थे। इस बात की डीजी ने आपत्ति लगी है।

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