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राज्य के गांवों में जहां किसानों की राशि बची है, उनकी तलाश की जा रही है। रायपुर जिले में ही कई गांवों में इस संबंध में मुनादी भी कराई जा रही है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ के धान उत्पादक किसानों को खरीफ विपणन वर्ष 2014-15 और 2015-16 के बकाया बोनस की राशि सरकार ने दो महीना पहले ही जारी कर दी है, लेकिन अभी भी करीब 36 हजार किसान अपने हिस्से की राशि नहीं ले पाए हैं। यह बकाया राशि करीब 100 करोड़ रुपए है। दूसरी ओर गांवों में किसानों को देने के लिए मुनादी की जा रही है। इसके बाद भी यह राशि उन किसानों या उनके परिजनों का इंतजार किया जा रहा है, जिनके हिस्से में यह राशि आनी है। 

गांवों में मुनादी, किसानों की तलाश

इधर राज्य के गांवों में जहां किसानों की राशि बची है, उनकी तलाश की जा रही है। रायपुर जिले में ही कई गांवों में इस संबंध में मुनादी भी कराई जा रही है। गांव के कोटवार के माध्यम में सूचनाएं भी भिजवाई गई तथा सोसायटियों द्वारा भी बचे किसानों की तलाश करवाए जाने की जानकारी मिली है। बताया गया है कि बचे किसानों में कई के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही है। कई किसानों ने जमीन बेच दी, बैंक खाते बंद करवा दिए तथा कई किसानों की मृत्यु होने के कारण उनके वारिसानों में दावे की लड़ाई चल रही है। इन कारणों से भी बोनस की राशि नहीं बंट पाई है।

530 करोड़ का क्लेम अटका था

सहकारी बैंक सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार ने करीब 12 लाख किसानों को बकाया बोनस की राशि देने के लिए 3 हजार 716 करोड़ रुपए जारी किए थे। बताया गया है कि इनमें से अधिकांश किसानों को जिनके बैंक खाते दुरुस्त थे, उनके खाते में राशि ट्रांसफर हो गई। लेकिन 1 लाख 75 हजार किसानों के हिस्से की राशि करीब 530 करोड़ रुपए अटक गए थे। सरकार ने इस राशि के निपटारे के लिए तहसीलदारों को काम पर लगवाया। इसके बाद दावे और खातों की जांच के बाद करीब 430 करोड़ रुपयों का भुगतान हो गया है। अभी की स्थिति में 100 करोड़ रुपयों का भुगतान होना बाकी है।

पिछले साल 25 दिसंबर को जारी हुई है राशि

छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस के अवसर पर 25 दिसंबर को 12 लाख किसानों के खातों में बोनस के रूप में 3 हजार 716 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए थे। छत्तीसगढ़ सरकार ने मोदी की गारंटी का वादा सुशासन दिवस के मौके पर पूरा कर दिया है। राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने किसानों से बकाया बोनस की राशि देने का वादा किया था। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में भाजपा सरकार गठन के बाद सबसे पहले जो फैसले लिए गए उनमें किसानों के बकाया बोनस का मामला भी शामिल था।

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