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छत्तीसगढ़ में पहछली कांग्रेस सरकार की महत्वाकांक्षी योजना स्वामी आत्मानंद स्कूलों का बस्तर में बुरा हाल है। बीजापुर जिले के गंगालूर में सरकार नहीं समस्याएं संचालित कर रही हैं स्वामी आत्मानंद स्कूल को। 

गणेश मिश्रा- बीजापुर। छत्तीसगढ़ में साल 218 में जब कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने तो शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए स्वामी आत्मानंद स्कूल को महत्वाकांक्षी योजना के रूप में लॉन्च किया था। प्रदेश में जगह-जगह स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल खोले गए। परंतु अब नए शिक्षण सत्र के साथ ही स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूलों की दुर्दशा देखते ही बन रही है। 

ये स्कूल कहीं किराए के मकानों में तो, कहीं अधूरे बने भवनों में स्वामी आत्मानंद स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि, अभाव और संसाधनों के बीच बच्चों को शिक्षा देने की मजबूरी शिक्षकों पर आन पड़ी है। आज ऐसे ही एक स्कूल की हम बात कर रहे हैं जहां शिक्षा तो है परंतु संसाधन नजर नहीं आ रहे हैं। बच्चों के परिजन लगातार स्कूल प्रबंधन से व्यवस्थाओं में सुधार की गुहार लगा रहे हैं, परंतु सरकार और प्रशासन है कि, प्रबन्धन की सुनने को तैयार ही नहीं है। अब ऐसे में बच्चों को बेहतर शिक्षा की उम्मीद करें भी तो कैसे? लोग कहते सुने जाते हैं कि, इस 'स्वामी' स्कूल में तो 'आत्मा' तक नहीं है। 

बच्चों को पढ़ाते हुए शिक्षक
बच्चों को पढ़ाते हुए शिक्षक

टीचर्स और परेंट्स भी हैं हताश

गंगालूर बीजापुर जिले का अति नक्सल संवेदनशील एवं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। सरकार के द्वारा पिछले वर्ष स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोला गया है। इसका मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र के बच्चों को अच्छी और सस्ती और मुक्त अंग्रेजी शिक्षा देना है। इसी परिप्रेक्ष्य में हर महीने सभी स्टाफ मिलकर पेरेंट्स मीटिंग का आयोजन करते हैं। टीचर्स और पेरेंट्स बैठकर जो भी समस्या एवं परेशानी रहती है, उस पर चर्चा करते हैं। साथ ही साथ अपने स्तर पर समाधान भी निकाला जाता है। लेकिन प्रशासन और शासन स्तर से सहयोग नहीं मिलने के चलते टीचर्स और परेंट्स दोनो हताश हैं।

स्कूल में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं

वर्तमान में इस स्कूल में बहुत से मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। जैसे - पेयजल की समस्या, शौचालय की समस्या, खेल सामग्री का आभाव, म्यूजिक सिस्टम और आर्ट एण्ड क्राफ्ट सामग्री का आभाव, प्रार्थना एवं कार्यक्रम मंच का आभाव, बाउंड्री वाल की समस्या, बिजली एवं पंखे का आभाव, चपरासी का अभाव, मैदान का समतलीकरण, मध्यान भोजन के लिए बर्तन एवं शेड का अभाव, छोटे बच्चों के लिए खेलने एवं झूलने, फिसलने की सामग्री का आभाव। 

कोई सुनने वाला नहीं

यहां पर स्कूल फर्स्ट क्लास से संचालित हो रहा है, जिसमें छोटे-छोटे बच्चे पढ़ने आते हैं और  समस्याओ के बीच पढ़ाना और पढ़ना जारी है। स्कूल के प्राचार्य मनीष जैन की माने तो उन्होंने प्रशासन को कई बार समस्यायों से अवगत कराया गया है, परंतु आज पर्यन्त तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।

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