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रायपुर में टेम्पल कनेक्ट मीट्स का आयोजन किया गया जिसमें प्रदेशभर के मंदिरों के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर अपना अनुभव साझा किया।

रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर के एक निजी होटल में टेम्पल कनेक्ट मीट्स कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजन में प्रदेशभर के 34 से अधिक मंदिरों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। जिसमें स्मार्ट टेम्पल मिशन और तिरुपति में होने वाले आईटीसीएक्स 2025 पर विशेष चर्चा की गई। साथ ही विभिन्न मंदिरों के प्रतिनिधियों ने अपना अनुभव साझा किया।  

टेम्पल कनेक्ट आईटीसीएक्स के संस्थापक गिरीश कुलकर्णी की पहल है। टेम्पल कनेक्ट ने मंदिर के प्रतिनिधियों को फरवरी माह में तिरुपति में आयोजित होने वाले इंटरनेशनल टेम्पल्स कन्वेंशन और एक्सपो (आईटीसीएक्स) 2025 की जानकारी दी। साथ ही मंदिर के इकोसिस्टम को बेहतर बनाने के लिए स्मार्ट टेम्पल मिशन से परिचित कराया।

प्रतिनिधियों ने साझा किए अपने अनुभव 

छत्तीसगढ़ को अपनी सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, क्योंकि इसे भगवान राम का ननिहाल यानि माता कौशल्या का मायका माना जाता है। ऐसे में, कार्यक्रम में मंदिर के प्रतिनिधियों और ट्रस्टीज़ का उत्साह देखते ही बना। इस दौरान मंदिर प्रबंधन पर चर्चा की गई। साथ ही आईटीसीएक्स 2025 के मिशन के साथ जुड़ने में लोगों की गहरी रुचि देखी गई। जो अंतर्दृष्टि और सीख मंदिर के स्थानीय प्रतिनिधियों ने अपना अनुभव साझा किया। 

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temple connect meets
टेम्पल कनेक्ट मीट्स कार्यक्रम

हमारा लक्ष्य मंदिर इकोसिस्टम को आधुनिक बनाना- गिरीश कुलकर्णी 

टेम्पल कनेक्ट और आईटीसीएक्स के संस्थापक गिरीश कुलकर्णी ने कहा कि, हम अपने देश के प्रतिष्ठित मंदिरों के अनुभवी संरक्षकों के साथ जुड़ने के लिए आभारी हैं। उनसे सीखने का अवसर मिलना हमारे लिए सम्मान का विषय है। स्मार्ट टेम्पल मिशन के माध्यम से, हमारा लक्ष्य मंदिर इकोसिस्टम को आधुनिक बनाना है, ताकि बेहतर तकनीक का उपयोग कर मंदिर में दर्शन करने जाने के अनुभव को और भी अधिक सहज और सुरक्षित बनाया जा सके। हम 2025 में आईटीसीएक्स को नए आयाम दे रहे हैं। 

इन मंदिरों के प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा 

इस महत्वपूर्ण आयोजन में सिरपुर के श्री गंधेश्‍वर नाथ मंदिर ट्रस्ट, सरायपाली के श्री दुर्गा मंदिर सेवा समिति ट्रस्ट, भिलाई के जगन्नाथ मंदिर और खल्लारी मंदिर के प्रतिनिधियों के साथ ही विभिन्न प्रतिष्ठित मंदिरों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। यह आयोजन भारत के आध्यात्मिक और मंदिर इकोसिस्टम के विषय में छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण योगदान को प्रदर्शित करने का माध्यम बना।
 

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