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नए साल में जनसुनवाई के बाद इसकी मंजूरी मिलते ही पॉवर कंपनी नए संयंत्रों के लिए टेंडर करेगी।

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी बिजली उत्पादन की क्षमता को विशाल बनाने की दिशा में काम कर रही है। छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद पहली बार उतीसगढ़ राज्य उत्पादन कंपनी के कोरबा पश्चिम में 660 मेगावाट के दो संयंत्र लगेंगे। इसके लिए सबसे पहले पर्यावरण की मंजूरी जरूरी है। इसकी प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। नए साल में जनसुनवाई के बाद इसकी मंजूरी मिलते ही पॉवर कंपनी नए संयंत्रों के लिए टेंडर करेगी। कोरबा पश्चिम में पॉवर कंपनी के पास अपनी जमीन भी है। यहां पर 60 साल पुराने 50 मेगावाट के चार और 120 के दो संयंत्र प्रदूषण के कारण बंद हो चुके हैं। 

अब उसी स्थान पर नए संयंत्र लगाने की तैयारी है। इसके लिए राज्य सरकार ने पहले ही मंजूरी दे दी है। इसी के साथ संयंत्रों को लेकर भूमिपूजन भी हो चुका है। अब इसको लेकर उत्पादन कंपनी तैयारी कर रही है। इसका निर्माण करने से पहले कोयला, पानी और पर्यावरण की मंजूरी के लिए प्रयास चल रहे हैं। इसकी मंजूरी मिलने के बाद योजना पर काम प्रारंभ होगा। नए संयंत्र बनने के बाद पॉवर कंपनी की अपने संयंत्रों की उत्पादन क्षमता 43 सौ मेगावाट हो जाएगी। क्षमता बढ़ने के बाद लंबे समय तक बिजली की कमी नहीं होगी।

खपत के कारण नए संयंत्र की तैयारी

जिस तरह से तेजी से प्रदेश में उपभोक्ता जसे की संख्या इजाफा हो रहा उससे आने वाले समय में बिजली की बहुत ज्यादा जरूरत होगी। आज उपभोक्ताओं की संख्या 61 लाख से ज्यादा हो गई है। पहले बिजली की खपत रोज तीन हजार मेगावाट से भी कम रहती थी, आज खपत छह हजार के पार जा रही है। राज्य सरकार वे एक दशक की खपत को देखते हुए ही योजना बनाकर कोरबा में 660 मेगावाट के दो संयंत्र लगाने की मंजूरी दी है।

लगातार बढ़ रही क्षमता

अलग राज्य बनने के बाद 2000 में राज्य में बिजली के मामले में ज्यादा सुविधाएं नहीं थीं। उत्पादन के मामले में यहां पर महज 1360 मेगावाट का ही उत्पादन होता था, लेकिन आज की स्थिति में यह उत्पादन 2980 मेगावाट हो गया है। मड़वा में जो 500 मेगावाट की दो यूनिट लगी है, उस यूनिट में जब करीब आठ साल पहले उत्पादन प्रारंभ हुआ था. तभी से उसकी बिजली तेलंगना को देने का अनुबंध हो गया था। ऐसा इसलिए संमव हो सका क्योंकि अपादन के मामले में राज्य सरप्लस हो गया था। आज की स्थिति में जहाँ अपना उत्पादन 2980 मेगावाट है, वहीं सेंट्रल सेक्टर से करीब करीब तीन हजार नेगावाट का शेयर मिलता है। ऐसे में राज्य में बिजली छह हजार मेगावाट हो जाती है। जहां तक खपत का सवाल है, तो इस साल पहली बार खपत छह हजार मेगावाट के पार गई है। आने वाले समय में यह खपत साढ़े छह हजार मेगावाट तक भी जा सकती है। ऐसा होने पर बिजली की कमी हो सकती है।
 

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