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तूता में धरना स्थल बनने के पूर्व ऐसी स्थिति नहीं थी, तब शहर के साथ राज्य के अलग शहरों से लोग अपनी समस्याओं को शासन तक पहुंचाने बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर जुटते थे। 

रायपुर। राज्य के लोगों के पास अपनी पीड़ा व्यक्त करने कोई उचित मंच नहीं है। तूता में धरना स्थल बनने के पूर्व ऐसी स्थिति नहीं थी, तब शहर के साथ राज्य के अलग शहरों से लोग अपनी समस्याओं को शासन तक पहुंचाने बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर जुटते थे। धरना देने वालों में ज्यादातर लोग मकान कब्जा करने से लेकर सड़क, नाली, बिजली पानी या फिर अपने बेटे या परिजनों द्वारा प्रताड़ित किए जाने के विरोध में धरना देने बूढ़ा तालाब पहुंचते थे। तूता में जो नया धरना स्थल बनाया गया है, वह अब आसामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है। शहर में ट्रैफिक जाम की स्थिति के देखते हुए एक वर्ष पूर्व धरना स्थल नया रायपुर के तूता में मेला स्थल के सामने नया धरना स्थल का निर्माण किया गया है। नया धरना स्थल बनने के बाद बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर सीमित संख्या में धरना देने की अनुमति देने की बात प्रशासन ने कही थी, लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया। 

धरना देने वाले प्रदर्शनकारियों को तूता में धरना देने की प्रशासन द्वारा अनुमति दी जाने लगी। आचार संहिता लगने के पूर्व नया धरना स्थल पर संयुक्त कर्मचारी संघ द्वारा आखिरी धरना- प्रदर्शन का आयोजन किया गया। धरना स्थल बना आसामाजिक तत्वों का अड्डा तूता में जिस - उद्देश्य को लेकर धरना स्थल बनाया गया है, वह उद्देश्य तो पूरा नहीं हुआ, वर्तमान में धरना स्थल आसामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है। धरना स्थल के खाली मैदान में शराबी शराब पीकर गंदगी फैलाने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा आसामाजिक तत्वों ने धरना स्थल में बाथरूम में लगे दरवाजे, नल, वाश बेसिन के साथ किचन में लगे पंखे के साथ ही चैंबर में लगी लोहे की प्लेट, यहां तक कि सुरक्षा घेरा के लिए लगाई लोहे की जाली चोरी कर ले गए हैं।

प्रशासन ने किए थे बड़े-बड़े दावे

शहर से 15 किलोमीटर दूर वीरान जगह में धरना स्थल का निर्माण किया गया, तब धरना स्थल की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने बड़े-बड़े दावे किए थे। धरना स्थल की सुरक्षा के लिए सुरक्षाकर्मी तैनात करने से लेकर धरना देने आने वाले लोगों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही गई थी। वर्तमान में नया धरना स्थल में ऐसी कोई मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। 

छोटे समूह, सिंगल में एक भी धरना नहीं

नया धरना स्थल बनने के बाद से आम लोग जो अपनी छोटी मोटी परेशानियों को लेकर धरना प्रदर्शन करते थे, ऐसे लोगों ने अगस्त, सितंबर के बाद से एक भी प्रदर्शन नहीं किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आम लोग अपनी समस्याओं का हल नहीं होने की स्थिति में शासन तक अपनी आवाज पहुंचाने कहां धरना प्रदर्शन करें।

शहर के नजदीक धरना स्थल की जरूरत

आम लोगों को शासन तक अपनी बात पहुंचाने प्रशासन को शहर के नजदीक एक धरना स्थल बनाने की जरूरत है, जहां 10 से कम संख्या में लोग धरना प्रदर्शन कर शासन तक अपनी बात पहुंचा सकें। इसके साथ ही तूता में 40 लाख से ज्यादा की लागत में बने धरना स्थल की सुरक्षा के उपाय के बारे में प्रशासन को सोचने की जरूरत है।

जानकारी नहीं

ग्रामीण एएसपी कीर्तन राठौर ने बताया कि, धरना स्थल पर चोरी होने की मुझे जानकारी नहीं है, जानकारी लेने के बाद धरना स्थल की सुरक्षा करने के साथ आसामाजिक तत्वों के खिलाफ उचित कार्रवाई करवाता हूं।

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