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कोरिया जिला प्रशासन ने लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हुए हमारा शौचालय, हमारा सम्मान अभियान के तहत श्रमदान किया। 

रविकांत सिंह राजपूत- कोरिया। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिला प्रशासन ने हमारा शौचालय, हमारा सम्मान अभियान के तहत श्रमदान किया। कलेक्टर चंदन त्रिपाठी ने ग्रामीण के घर बन रहे शौचालय में श्रमदान करते हुए स्वच्छता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि, यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।

दरअसल सोनहत विकासखंड के ग्राम पंचायत कछार में जिला प्रशासन ने मानवता और स्वच्छता के प्रति समर्पण का एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया।कलेक्टर चंदन त्रिपाठी के नेतृत्व में जिला पंचायत सीईओ डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी, अपर कलेक्टर अंकिता सोम, एसडीएम दीपका नेताम, सरपंच गुलावती बाई सहित अधिकारियों, ग्रामीणों ने व्यक्तिगत शौचालय निर्माण में श्रमदान किया। 

अधिकारियों ने शौचालय निर्माण में किया श्रमदान 

सुबह 8 बजे से शुरू इस अभियान में अधिकारियों ने खुद मसाला मिलाया, गड्ढे खोदे और निर्माण सामग्री को उठाया। कलेक्टर सहित जिला प्रशासन और अन्य विभाग के अधिकारियों ने पसीना बहाकर श्रमदान की महत्व को प्रतिपादित भी की। ग्रामवासी भोला के घर बन रहे शौचालय में श्रमदान करते हुए अधिकारियों ने ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया कि, स्वच्छता ही सम्मान और स्वास्थ्य की कुंजी है।

volunteer work
शौचालय निर्माण में श्रमदान करते हुए जिला प्रशासन के अधिकारी

कलेक्टर की प्रेरणादायक अपील

श्रमदान के दौरान कलेक्टर चंदन त्रिपाठी ने कहा, शौचालय केवल एक निर्माण नहीं, यह आत्मसम्मान और स्वच्छ जीवन का प्रतीक है। उन्होंने कहा टॉयलेट फॉर डिग्निटी के तहत जनजागरण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि, हम सभी की भागीदारी से ही स्वच्छता का सपना साकार हो सकता है। उन्होंने ग्रामीणों से अपील करते हुए कहा कि, शौचालय निर्माण को प्राथमिकता दें और स्वच्छता को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।

सामूहिक प्रयास का संदेश

जिला प्रशासन ने इस प्रेरणादायक कदम ने न केवल स्वच्छता के महत्व को रेखांकित किया। बल्कि सामूहिक प्रयासों की शक्ति को भी उजागर किया। अधिकारी और ग्रामीण एकजुट होकर यह संदेश देने में सफल रहे कि जब प्रशासन और समाज मिलकर काम करें, तो हर चुनौती को पार किया जा सकता है। यह पहल स्वच्छ भारत मिशन को धरातल पर साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसने न केवल ग्रामीणों को जागरूक किया, बल्कि उनके मन में आत्मनिर्भरता और सहभागिता का भाव भी जगाया।
 

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