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बेमेतरा जिले के सबसे बड़े प्रशिक्षण संस्थान डाइट में विज्ञान शिक्षकों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था। 

बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के सबसे बड़े प्रशिक्षण संस्थान डाइट में विज्ञान शिक्षकों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था। यह आयोजन संस्थान के प्राचार्य जे के घृतलहरे के द्वारा किया गया था। प्रशिक्षण के अंतिम दिन में डाइट प्राचार्य जे के घृतलहरे ने सभी प्रतिभागी शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि, किसी भी वस्तु या घटना का क्रमबद्ध अध्ययन ही विज्ञान कहलाता है। किसी भी तथ्य को जांचना, परीक्षण करना, सिद्ध करना, तब मानना विज्ञान कहलाता है। 

प्राचार्य जे के घृतलहरे ने बताया कि, किसी भी तथ्य को सत्यापित करना, प्रूफ करना ही विज्ञान कहलाता है। जिस प्रकार मोबाइल की बैटरी कम हो जाने पर उसे चार्जिंग करना पड़ता है। ठीक उसी प्रकार प्रशिक्षण हमें पूरी तरह से चार्जिंग कर देता है ताकि हम फिर से अपने कार्य को पूरी लगन और उत्साह के साथ संपादित कर सके। विज्ञान एक ऐसा विषय है जो पूरी तरह प्रयोग पर आधारित होता है। आज शिक्षक तो बहुत है। आज हर बच्चा कहता है कि, आगे चलकर वह शिक्षक बनना चाहता है। लेकिन आज अच्छे शिक्षकों की बहुत कमी है। यही कारण है कि हमारा रिजल्ट भी सही नहीं आ रहा है। 

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लर्निंग आउटकम की कमी होगी दूर

उन्होंने ने बताया कि, लर्निंग आउट कम बहुत कम आ रहा है। लर्निंग आउट कम याने सीखने के प्रतिफल जब तक अधिक नहीं होगा हम सफल नहीं हो सकते। इसी लर्निंग आउट कम की कमी को दूर करना है। आज हमारे सभी शिक्षक सही समय पर स्कूल जाए। सही समय पर कक्षा में जाएं और पूरी तन्मयता और ईमानदारी के साथ अध्यापन कार्य कारण तो इस लर्निंग आउटकम की कमी को दूर किया जा सकता है। उन्होंने सभी प्रतिभागी शिक्षकों से आह्वान किया कि, वे अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन पूरी ईमानदारी के साथ काम करें। कक्षा में जाएं तो संबंधित विषय और टॉपिक की अच्छी तैयारी के साथ जाएं।

शिक्षक अपनी पूरी तैयारी के साथ कक्षा में जाएं

प्राचार्य जे के घृतलहरे ने बताया कि, अगर हम पूरी तैयारी के साथ नहीं जाएंगे, तो हम बच्चों को कक्षा में अच्छे से नहीं बता पाएंगे। अतः हमें पूरी तैयारी, पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी कक्षा में जाना चाहिए। अगर हम ऐसा कार्य करेंगे, तो परिणाम भी निश्चित रूप से बहुत ही अच्छा होगा। आप लोग फाऊंडेशनल क्लास वाले हैं आप बच्चों की पढ़ाई की आधारशिला तैयार करने वाले शिक्षक है। यही वह अवस्था है क्लास है जहां पर हमें अच्छी तरह से मेहनत करने की आवश्यकता होती है। आप लोग बच्चों के बीच जाकर खूब मेहनत कीजिए। पूरे पुरुषार्थ से कार्य कीजिए। जैसे, लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी की धार को प्रतिदिन तेज करता है। वैसे ही आपको प्रतिदिन अपनी कक्षा में जाने से पहले पुरी तैयारी के साथ जाना है।

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100 प्रतिशत तक  बच्चों को सिखाएं 

वरिष्ठ व्याख्याता डॉक्टर बसुबंधु दीवान ने समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, इस प्रशिक्षण संस्था में आप अपने जो भी सीखें है। उसे 100 प्रतिशत तक कक्षा में बच्चों को बताएं। प्रायोगिक कार्य पर ज्यादा जोर दें और अपने बच्चों को नियमित रूप से प्रायोगिक कार्य कराएं। उसे अपनी कक्षा तक, अपने बच्चों तक निश्चित रूप से पहुंचाए, तभी इस प्रशिक्षण की सार्थकता है। 

ये लोग रहे मौजूद 

इस तीन दिवसीय विज्ञान प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर्स के रूप में मंजू साहू शिक्षिका शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला मटका,  व्याख्याता केजहा राम निषाद शासकीय हाई स्कूल करंजिया नवागाँव,  अजीम प्रेमजी फाउंडेशन से श्रेया दुबे इस प्रशिक्षण के लिए मास्टर ट्रेनर्स की की भूमिका निभा रहे हैं। जबकि इस प्रशिक्षण के नोडल अधिकारी डाइट की व्याख्याता कीर्ति घृतलहरे है। जो विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से प्रायोगिक कार्य के माध्यम से विज्ञान प्रशिक्षण प्रदान कर रहे है। आज अंतिम दिवस में पत्तियों और प्याज के छिलके की स्लाइड बनाकर सूक्ष्मदर्शी की सहायता से कोशिका एवं स्टोमेटा का अध्ययन किया गया। इसके साथ ही सुखे और गीले बीजों में श्वसन की क्रिया होती है, इसका प्रयोग द्वारा प्रदर्शन किया गया। इस तीन दिवसीय विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन के अवसर पर संस्थान के व्याख्याता, जी एल खुटियारे, थलज कुमार साहू, राजकुमार वर्मा, श्रद्धा तिवारी, अमिंदर भारती, सहित सभी अकादमिक एवं कार्यालयीन सदस्य उपस्थित थे।

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