रायपुर। छत्तीसगढ़ में गर्मी की शुरुआत के साथ ही जलसंकट से निपटने गांवों से मांग आने पर निस्तारी के लिए बांधों से पानी छोड़ने का निर्णय लिया गया है। पिछले दिनों इस संबंध में हुई बैठक में गर्मी के दौरान पेयजल की कमी से निपटने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बांधों के पानी से तालाब भरने के निर्देश दिए थे। प्रदेश के बांधों में पानी उपलब्धता के अनुसार पिछले एक पखवाड़े में बांधों में 45.69 प्रतिशत जलभराव था, जो घटकर 36.36 प्रतिशत हो गया है। 20 बांधों से गांवों के तालाब और एनीकट में पानी भर का प्रयास किया जा रहा है। कई बांधों में तेजी से पानी कम होता जा रहा है, सिंचाई विभाग पानी छोड़ने के साथ ही इसकी मॉनिटरिंग कर रहा है।
प्रदेश में इस साल मार्च से ही गांवों में पानी की किल्लत हो रही है। यहां निस्तारी के लिए पानी का मांग उठने लगी है। वहीं पिछले साल की तुलना में इस बार बांधों में 20 से 30 फीसदी जलभराव कम है। अधिकतर बड़े जलाशयों में बारिश में पर्याप्त जलभराव हुआ है, लेकिन अब मार्च के अंत तक आते-आते बांधों में जलभराव का स्तर कम होने लगा है। सिंचाई विभाग का कहना है कि, इस बार दिसंबर और जनवरी में ज्यादा बारिश नहीं हुई। इसका असर नदी-नालों और जलाशयों पर पड़ रहा है। नतीजा यह रहा कि प्रदेश के बड़े बांधों में शामिल गंगरेल, बांगो समेत अन्य मध्यम व छोटे बांधों में जलभराव वर्ष 2023 और 2024 के मुकाबले सबसे कम हुआ है।
बांधों में 36 फीसदी से अधिक जलभराव
प्रदेश में 12 बड़े और 34 मध्यम स्तर के बांध हैं। इन बांधों में 36 फीसदी से अधिक जलभराव की स्थिति है। वर्तमान में गंगरेल में 44.70 प्रतिशत ही जलभराव है, जबकि 2024 में यह 60.99 फीसदी था, यानी इस बार 16 फीसदी जलभराव कम है। यही स्थिति मिनीमाता बांगो बांध की है, जहां 35.17 फीसदी पानी है। यहां पिछले साल की तुलना में 18 फीसदी जलभराव कम है। मुरुमसिल्ली में पिछले बार की तुलना में इस बार करीब 38 फीसदी जलभराव कम हुआ है। हालांकि वर्ष 2023 की तुलना में इस बार इसकी स्थिति बहुत बेहतर है। वर्ष 2023 में यहां केवल 10.30 फीसदी ही जलभराव था।
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इन बांधों से छोड़ा जा रहा पानी
प्रदेश के करीब 20 बांधों से पानी छोड़ा जा रहा है। जिन बड़े बांधों से पानी छोड़ा जा रहा है, उनमें मिनीमाता बांगो, गंगरेल, दुधावा, सिकासार, सोंदूर, कोडार, केलो बांध से पानी छोड़ा जा रहा है। वहीं खरखरा, तांदुला, मनियारी, खुड़िया, गोंदली, कोसारटेडा, परलकोट, छीरपानी और केसवा जलाशयों से पानी छोड़ा गया है। लोरमी क्षेत्र के कई गांवों के लोगों की मांग पर निस्तारी के लिए जल उपलब्ध कराने खुड़या जलाशय से 200 क्यूसेक पानी नहर व नदी के माध्यम से छोड़ा गया है, जिससे क्षेत्र के तालाबों और मनियारी नदी पर निर्मित एनीकट को भरा जाएगा।
गंगरेल-सोंदूर के पानी से इन क्षेत्रों की बुझेगी प्यास
गंगरेल और सोंदूर बांध से 390 तालाबों में निस्तारी के लिए पानी भरने का लक्ष्य तय किया है। अब तक 16 तालाब भरे जा चुके हैं। गंगरेल से धमतरी के अलावा रायपुर, अभनपुर, गोबरा नयापारा, बलौदाबाजार और पाटन को पेयजल के लिए पानी छोड़ा जा रहा है। गुरुवार को रूद्री बैरॉज से 3461 क्यूसेक पानी मुख्य नहर में छोड़ा जा रहा है। कई गांवों के तालाबों में पानी नहीं पहुंचा है। भूजल के गिरते स्तर को देखते हुए प्रशासन ने पानी का सदुपयोग करने की समझाइश दी है। तालाबों तक पानी पहुंचाने नाली दुरुस्त कराने के निर्देश दिए गए हैं।