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विश्व नदी दिवस के अवसर पर बच्चों को जल और नदियों का महत्व बताने के लिए साहू दंपति तुमनचंद और रंजीता साहू ने नदियों की वर्णमाला बनाई है।

रायपुर। विश्व नदी दिवस के अवसर पर बच्चों को जल और नदियों का महत्व बताने के लिए साहू दंपति तुमनचंद और रंजीता साहू ने नदियों की वर्णमाला बनाई है। वे अलग-अलग स्कूलों के हजारों विद्यार्थियों को पानी बचाने की प्रेरणा दे रहे हैं।  

रंजीता साहू ने बताया कि, नदियां कितनी महत्वपूर्ण हैं यह छत्तीसगढ़ी संस्कृति में दिखता है। हमारे छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत में नदियों की गाथाओं का बखान किया गया है। कैसे पवित्र नदियां छत्तीसगढ़ महतारी के चरण पखारती हैं और साज-सज्जा में अपना योगदान देती हैं। राजकीय गीत में जीवनदायनी नदियों के महत्व को समझाया गया है। 

Children learned the alphabet of rivers
बच्चों ने सीखी नई वर्णमाला

खेल-खेल में बच्चे याद कर सकेंगे नदियों के नाम 

छत्तीसगढ़ी संस्कृति में छोटे-छोटे बच्चों को नदियों के महत्व बताने के लिए और खेल-खेल में उन्हें सीखाने के लिए खेल-खेल में एक गीत बनाया गया है जिसे हमारी दादी-नानी हमें सीखाते थे वह गीत है- ‘अटकन बटकन दही चटाका लाउहा लाटा चल चल बेटी गंगा जाबो गंगा ले गोदावरी पक्का पक्का बेल खाबो’।

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वर्णमाला की उपयोगिता

साहू दंपति ने बताया कि, इस वर्णमाला के जरिए बच्चे जल संरक्षण का महत्व समझ पाएंगे और खेल-खेल में बहुत कुछ सीख पाएंगे। इस पढ़कर बच्चे सामान्य ज्ञान अर्जन कर सकते हैं। इस वर्णमाला में जल संरक्षण के स्लोगन और विशेष जानकारी दी गई है। नदियों के नाम पर प्रतियोगिता की जा सकती है। इसमें प्रैक्टिस सेट भी दी गई है। बहुत कम समय में नदियों के नाम अविस्मरणीय ढंग से याद हो सकेगा। सामान्य तौर पर बच्चों को 4/5 नदियों का नाम ही पता होता है इस वर्णमाला से बच्चें 50 से 100 तक नदियों के नाम बहुत आसानी से याद सकते हैं। 

Students were taught the alphabet of rivers
छात्र-छात्राओं को बताया गया नदियों का महत्व

नदियों का सांस्कृतिक महत्व 

तुमन साहू ने समझाया कि, कैसे नदियां धरती के लिए जरूरी हैं, जिस तरह हमारे शरीर में खून,  नसों के माध्यम से पूरे शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाती है। उसी तरह नदियां भी धरती मां की नसें है जो धरती पर हैं और हमें जीवनदान देती हैं। जिस तरह नसों के ब्लॉक होने से हार्ट अटैक आता है उसी तरह अगर नदियां ब्लॉक हो गई तो हमारा जीवन समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि, नदियां पर्यावरण में संतुलन बनाने का काम करती हैं। इसलिए हमें नदियों का सम्मान करना चाहिए।

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बच्चों को सिखाना होगा संस्कार 

हमारे पूर्वज भी किसी नदी से गुजरने के दौरान हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं। वही संस्कृति और संस्कार अब बच्चों को सिखाने की जरूरत है। इसलिए भी यह वर्णमाला बहुत महत्व रखती है। मानव सभ्यता के विकास के लिए नदियां कितनी महत्वपूर्ण हैं यह इतिहास में वर्णित है। भारत की आस्था नदियों से जुड़ी हुई है और विभिन्न आध्यात्मिक और प्रसिद्ध स्थल नदियों के किनारे ही बसे हुए हैं।

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