Delhi Vidhansabha: दिल्ली सरकार की वन टाइम सेटलमेंट स्कीम को रोकने के खिलाफ मंगलवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों ने विधानसभा में भाजपा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। आप विधायकों ने आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार पानी के बढ़े बिलों से परेशान दिल्लीवालों को राहत देने के लिए यह स्कीम ला रही है, लेकिन भाजपा शासित केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले अफसर इसके प्रस्ताव को कैबिनेट में नहीं रख रहे हैं। इससे दिल्लीवालों में आक्रोश बढ़ रहा है और अपने प्रतिनिधि विधायकों से राहत दिलाने के लिए लगातार संपर्क कर रहे हैं।
विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने आप विधायकों को शांत करने की कोशिश की और उन्हें अपनी सीट पर बैठने के लिए कहा, लेकिन जब विधायकों ने वापस जाने से इंकार कर दिया तो उन्होंने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्यवाही जब दोबारा शुरू हुई तो आप विधायक फिर से आसन के सामने आ गए और नारे लगाने लगे। विधानसभा अध्यक्ष गोयल ने दोबारा विधायकों से अपनी सीटों पर वापस जाने का अनुरोध किया, लेकिन वे नारे लगाते रहे। आखिरकार अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। आप विधायकों ने उपराज्यपाल से दोषी अफसरों को सस्पेंड करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा ने अफसरों के माध्यम से इस स्कीम को रोका तो अरविंद केजरीवाल की सरकार और उनका एक-एक सिपाही सड़क पर उतर कर संघर्ष करेगा और इस स्कीम को पास कराएगा।
दबाव और धमकी के कारण अधिकारी काम नहीं कर रहे- केजरीवाल
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को सदन में एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए उपराज्यपाल सक्सेना से आग्रह किया था कि वे अधिकारियों को योजना के कार्यान्वयन का निर्देश दें और यदि वे इंकार करते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई करें। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के दबाव और धमकी के कारण अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं।
पानी का बिल उनके खपत के कहीं ज्यादा आया- सौरभ
आप के वरिष्ठ नेता और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में करीब 27 लाख लोग दिल्ली जल बोर्ड के उपभोक्ता हैं। उनमें से करीब 10 लाख 60 हजार यानि करीब 40 फीसदी उपभोक्ता ऐसे हैं, जिन्होंने कई महीनों से अपने पानी का बिल नहीं दिया है। इसका कारण भी यहीं है कि उनका पानी का बिल उनके खपत के कहीं ज्यादा आया है और उनका मानना है कि इन बिलों में गड़बड़ी है। इससे कुल मिलाकर ऐसी स्थिति पैदा हो गई है, जिसमें उपभोक्ता पैसा नहीं दे रह है और दूसरी तरफ जल बोर्ड अपना बिल कम नहीं कर रहा है। इसके अलावा ब्याज और फाइन जुड़ने से लोगों का बिल लगातार बढ़ता ही जा रहा है।