Delhi Court on AAP MLA Naresh Balyan MCOCA case: दिल्ली की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक नरेश बाल्यान की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। बाल्यान पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के तहत आरोप हैं। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने बुधवार को बाल्यान की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए इसे खारिज कर दिया।
पुलिस ने बाल्यान को बताया 'फेसिलिटेटर'
दिल्ली पुलिस ने अदालत में तर्क दिया कि बाल्यान संगठित अपराध सिंडिकेट में एक 'फेसिलिटेटर' के तौर पर काम कर रहे थे। पुलिस का दावा है कि बाल्यान ने कथित रुप से अपराध सिंडिकेट को पैसे और अन्य मदद मुहैया कराई। स्पेशल पब्लिक प्रासीक्यूटर अखंड प्रताप सिंह ने कहा कि आरोपी नरेश बाल्यान ने संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य को अपराध के बाद छिपने के दौरान खर्च के लिए धन मुहैया कराया।
गवाहों पर प्रभाव और सबूतों के नष्ट होने का खतरा
पुलिस ने कोर्ट में यह भी दलील दी कि अगर बाल्यान को जमानत दी जाती है, तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, सबूतों को नष्ट कर सकते हैं, और चल रही जांच को बाधित कर सकते हैं। पुलिस ने बताया कि सिंडिकेट के खिलाफ 16 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गई हैं और उनके अपराधों ने समाज में आतंक फैला रखा है।
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष का बयान
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि आज AAP विधायक नरेश बाल्यान को अदालत ने जमानत नहीं दी। पश्चिम दिल्ली में फिरौती, हत्या और अपहरण जैसी घटनाएं नरेश बाल्यान और AAP नेताओं की निगरानी में हो रही हैं। यह साफ है कि उनका इन अपराधों में सीधा हाथ है। सचदेवा ने आम आदमी पार्टी पर भी हमला बोला और कहा कि उनकी पार्टी के कई विधायकों को अदालत ने अपराधों का दोषी ठहराया है, लेकिन AAP ने उन्हें पार्टी से बाहर करने का साहस नहीं दिखाया।
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नरेश बाल्यान की जमानत याचिका क्यों हुई खारिज?
बता दें कि नरेश बाल्यान को दिसंबर 2024 में MCOCA के तहत गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने बताया कि बाल्यान कथित अपराध सिंडिकेट के सक्रिय सदस्य थे। इससे पहले उन्हें एक जबरन वसूली मामले में जमानत मिल चुकी थी। विशेष न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि गवाहों के बयान और पुलिस की जांच रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि इस मामले में आरोपी को जमानत देना जांच को बाधित कर सकता है। इसलिए जमानत याचिका खारिज की जाती है। नरेश बाल्यान का यह मामला आम आदमी पार्टी के लिए एक और चुनौती बन गया है। वहीं, विपक्षी पार्टियां इसे AAP की अपराधियों को संरक्षण देने वाली पार्टी के रूप में दिखाने का प्रयास कर रही हैं।
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