भारतीय जनता पार्टी के चुनाव जीतने के बाद ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठने लगते हैं। चुनाव हारने वाले दल लगातार एक ही बात करते हैं कि ईवीएम में छेड़छाड़ की गई, जिसके चलते भगवाधारी पार्टी आसानी से जीत गई है। इसके उलट अगर बीजेपी हारती है, तो कोई भी दल ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव 5 फरवरी को होना है और नतीजे 8 फरवरी को आएंगे। अगर बीजेपी यह चुनाव जीत जाती है, तो निश्चित ही फिर से ईवीएम पर सवाल उठने लगेंगे। लेकिन, यह पहला मौका है, जब चुनाव से पहले ईवीएम को तो नहीं लेकिन चुनावी स्याही को लेकर सवाल खड़े कर दिए गए हैं। यह सवाल सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की ओर से उठाए गए हैं।

अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि बीजेपी ने झुग्गीवालों को 3000 रुपये देकर फर्जी वोट डालने के लिए उंगुली पर चुनावी स्याही लगा रही है। केजरीवाल ने झुग्गीवालों को संदेश दिया कि यह झुग्गीवासियों के लिए बड़ा षड्यंत्र है। अगर किसी ने पैसे के बदले उंगुली पर स्याही लगवा ली या फिर वोट डाल दिया तो फिर फर्जी वोट डालने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाएगा। केजरीवाल ने आगे कहा कि अगर बीजेपी को जिताया तो आपकी झुग्गियों को तोड़कर अपने दोस्तों को दे देगी। केजरीवाल ने झुग्गीवालों से आप को वोट देने की अपील करते हुए कहा कि मैं आपकी झुग्गियों को टूटने नहीं दूंगा।

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बीजेपी ने केजरीवाल पर लगाया झूठ बोलने का आरोप

केजरीवाल के इस बयान पर सियासत गरमा गई है। भारतीय जनता पार्टी की ओर से केजरीवाल के इस बयान को भ्रामक बताया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि अरविंद केजरीवाल को अपनी हार का डर सता रहा है। इस कारण रोजाना नए झूठ फैला रहे हैं। पीएम मोदी ने भी आज आरके पुरम में रैली कर केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि आपदा ने झूठ बोलकर दिल्ली की भोलीभाली जनता को ठगने का काम किया है। 5 फरवरी को दिल्ली की जनता इस आपदा से मुक्ति पा ले और भाजपा को वोट दें ताकि दिल्ली विकास के पथ पर दोगुनी रफ्तार से दौड़ सके।

चुनावी स्याही पर लेकर विवाद

अब चुनावी स्याही से जुड़े विवाद की बात करते हैं। विकीपीडिया के अनुसार, चुनावी स्याही को लेकर दुनियाभर में छह विवाद हुए हैं। लेकिन चुनावी स्याही के दम पर लोगों से मतदान अधिकार छीन लेने का विवाद सिर्फ एक बार हुआ है। मामला 2008 के मलेशिया के आम चुनावों से जुड़ा है। बताया जाता है कि मलेशिया के चुनावी अधिकारों ने मतदान से एक सप्ताह पहले मतदाताओं के चुनावी स्याही के उपयोग को रद्द कर दिया था। बताया जाता है कि उस समय मलेशिया के पड़ोसी देश थाईलैंड से चुनावी स्याही की तस्करी हो रही थी, जिस कारण इस स्याही का इस्तेमाल लोगों को वोटिंग के अधिकार से वंचित करना था।

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ऐसे में मलेशिया सरकार ने नियम बनाया था कि अगर हाथ में चुनावी स्याही लगी हो, तो भी वोट दे सकते हैं। साथ ही, मतदान प्रक्रिया को भी सशक्त किया था ताकि किसी भी प्रकार का फर्जीवाड़ा न हो सके। इसके इतर चुनावी स्याही का इस्तेमाल कर लोगों से वोटिंग अधिकार छीनने का कोई भी दूसरा मामला दुनिया के किसी भी हिस्से से सामने नहीं आया है।