दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जहां आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (BJP), और एनसीपी (NCP) ने कमर कस ली है, वहीं बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। हाल ही में अजित पवार की नेतृत्व वाली एनसीपी ने अपनी पहली उम्मीदवारों की सूची जारी की थी। अब बसपा ने भी दिल्ली में अपनी पूरी ताकत झोंकने का फैसला किया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर स्पष्ट किया कि दिल्ली चुनाव में पार्टी हर सीट पर उम्मीदवार उतारेगी।
डोर टू डोर कैंपेन और नो अलायंस का फैसला
मायावती ने स्पष्ट किया कि बसपा इस बार किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी। पार्टी ने दिल्ली की सभी विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। इसके तहत 5 जनवरी से कोंडली में एक बड़ी रैली के साथ प्रचार अभियान की शुरुआत होगी। इस रैली को मायावती के भतीजे और बसपा नेता आकाश आनंद संबोधित करेंगे। पार्टी का जोर डोर टू डोर कैंपेन पर रहेगा, जिससे दलितों और पिछड़े वर्गों को अपने साथ जोड़ा जा सके।
आकाश आनंद संभालेंगे चुनावी कमान
इस बार दिल्ली चुनाव में बसपा की पूरी जिम्मेदारी आकाश आनंद को सौंपी गई है। वह न सिर्फ चुनावी अभियान की अगुवाई करेंगे, बल्कि संगठन को भी मजबूत करने का काम करेंगे। दिल्ली में बसपा का पिछला प्रदर्शन कमजोर रहा है। 2008 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 14 प्रतिशत वोट शेयर के साथ दो सीटें जीती थीं। इसके बाद से पार्टी कोई भी सीट जीतने में असफल रही है।
दलित वोटरों पर रहेगा फोकस
दिल्ली में दलितों की आबादी करीब 17 प्रतिशत है, जिनके लिए 12 सीटें आरक्षित हैं। बसपा की रणनीति इन सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतारने की है। इसके अलावा सामान्य सीटों पर भी पार्टी अपना दमखम दिखाएगी। 5 जनवरी को कोंडली में होने वाली रैली के लिए पार्टी ने बड़े स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस रैली के माध्यम से बसपा अपने चुनावी अभियान का बिगुल फूंकेगी।